ओडिशा, आंध्र प्रदेश के समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए विधेयक लोकसभा में पेश

ओडिशा में कुछ जनजातियों को अनुसूचित जाति (एससी) की श्रेणी से हटा कर अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने तथा आंध्र प्रदेश की तीन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने संबंधी संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 तथा संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा शुरू हो गयी।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने सदन में ये दोनों विधेयक पेश किये। ये दोनों विधेयक राज्यसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश में जनजातीय विकास के लिए कई योजनाएं दस वर्षों में चल रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बदलते एवं विकसित होते भारत में जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विशेष रूप में काम किया जा रहा है।
इस पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के श्री सप्तगिरी शंकर उलाका ने कहा कि देश में 12 करोड़ आदिवासी हैं। उन्होंने विगत चार से पांच साल से जनजातीय दर्जा दिये जाने की प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किये जाने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि हमारे पास सीमित आरक्षण है, उसमें पूरी प्रक्रिया के बाद ही समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास परियोजनाओं के कारण 80 प्रतिशत जनजातीय समुदाय विस्थापित हो रहे हैं और उन्हें वन भूमि पर अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश का विरोध किया।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि ऐसी अतिपिछड़ी जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने से मोदी सरकार की मंशा का परिचय मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध एक सर्वस्पर्शी एवं सर्वसमावेशी सरकार है। सरकार ने वर्ष 2013-14 के 4300 करोड़ रुपए की तुलना में जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए इस वर्ष के अंतरिम बजट में 13000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। सरकार ने जनजातियों के सशक्तीकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 ओड़िशा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सूची में संशोधन करने के लिए संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करता है। इसमें ओड़िशा के मुका डोरा, मूका डोरा, नुका डोरा, नूका डोरा (कोरापुट, नौरंगपुर, रायगढ़ा और मलकानगिरी जिलों के लिए), और कोंडा रेड्डी समुदाय की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किये जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा विधेयक ओड़िशा में तमाडिया और तमुडिया समुदायों को अनुसूचित जातियों की सूची से हटा कर उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव करता है।

संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 आंध्र प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में बोंडो पूर्जा, खोंड पूर्जा और कोंडा सवारस को जोड़ता है। चर्चा में कांग्रेस के डीएनवी सेंथिल कुमार और तृणमूल कांग्रेस के प्रो सौगत राय ने भी भाग लिया।

– एजेंसी