दालचीनी खरीदने से पहले थोड़ा सा सावधानी रखें तो आप असली और नकली दालचीनी में आसानी से फर्क कर सकते हैं

हम इंडियन के खाने में दालचीनी का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर सर्दी-खांसी में भी करते हैं. लेकिन क्या आपके मन में यह सवाल आया है कि जिस दालचीनी का इस्तेमाल हम कर रहे हैं कहीं ये नकली तो नहीं है? बाजार में मिलने वाली दालचीनी के नाम पर कई बार पेड़ों की छाल रहती है. यह छाल अमरूद या किसी और पेड़ के हो सकते हैं. दरअसल, दालचीनी का रंग और दूसरे पेड़ों की छाल का रंग एक जैसा होता है ऐसे में दोनों का एक ही रंग देखकर कभी-कभी लगता है कि दोनों एक ही है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑरिजनल दालचीनी से काफी ज्यादा अलग होता है. अगर आप दालचीनी खरीदने से पहले थोड़ा सा सावधानी रखें तो आप असली और नकली दालचीनी में आसानी से फर्क कर सकते हैं. आइए जानें कैसे-

असली और नकली दालचीनी में कैसे फर्क करें

असली दालचीनी की परत चिकनी होती है

असली दालचीनी की जो ऊपरी परत होती है वह काफी ज्यादा चिकनी होत है. इसलिए जब भी आप दालचीनी खरीदने जाए तो उसकी ऊपरी परत को ध्यान से देखें. दालचीनी को हमेशा छूकर ही खरीदें. क्योंकि कई बार दालचीनी की जगह अमरूद या कैसिया की छाल दे दी जाती है जिसकी ऊपरी सतह खुरदरी होती है. बनावट दालचीनी की तरह ही होती है.

पतली रोल सी होती है

आप अगर दालचीनी खरीदने जाते हैं तो देखेंगे वह पतली रोल की तरह होती है. यह इतनी ज्यादा नाजुक होती है कि आप उसे अगर छू देंगे तो वह टूट जाएगी. जबकि नकली दालचीनी में रोल जैसा कुछ नहीं होता है वह खोखला सा होता है. यह टूटा और बिखरा हुआ रहा है. साथ ही यह मोटा छाल जैसा दिखता है.

रंग और गंध में होता है ये फर्क

दालचीनी की रंग और गंध में काफी ज्यादा फर्क होता है. असली दालचीनी का रंग हल्का भूर होता है वहीं नकली दालचीनी का रंग गहरा रंग का होता है. जब आप नकली दालचीनी को छूएंगे तो उसका रंग हाथों में लग जाएगा. क्योंकि इस पर रंग चढ़ाया होता है. वहीं असली दालचीनी का रंग नहीं निकलता है. वहीं गंध की बात करें तो असली दालचीनी की खुशबू मीठी सी होती है वहीं नकली दालचीनी की गंध अजीब और तीखी सी होती है.

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