सदियों से चली आ रही इस कला ने अलग-अलग तरह के पकवानों द्वारा अपना अलग इतिहास बनाया है, जिसकी पहचान और स्वाद हमेशा यादगार रहने के साथ-साथ कभी खत्म नहीं होगी. कहते हैं इंसान के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है.
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक ही व्यंजन को लोग अलग-अलग तरीके से बनाना जानते है. यही नहीं अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. हमारा देश आलू ,गोभी, टमाटर, मटर आदि की कृषि में आत्मनिर्भर है और इनसे अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं.
जिससे न केवल कई तरह का भोजन बनाया जा सकता है,बल्कि यह तमाम औषधीय गुणों से भी भरपूर है. यह विशेष रूप से सर्दी के मौसम में पाया जाता है. इससे साग,पराठा,दाल में डालकर आदि तमाम तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं.
बथुआ न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के कई देशों में पाया जाता है. हालांकि जरूरी नहीं है कि यह प्रत्येक व्यक्ति को पसंद हो,लेकिन इसमें पाए जाने वाले गुणों के कारण सभी को इसे खाना चाहिए.
बथुआ में मौजूद औषधीय गुण:
बथुआ में कैल्शियम, विटामिन ए, फास्फोरस, पोटैशियम आदि पाया जाता है. इसमें आयरन,ऑक्जेलिक एसिड भी पाया जाता है.
बथुआ खाने के फायदे:
इसके उपयोग से गुर्दो की पथरी नहीं होती है. यह दांतों के दर्द में आराम देता है और मसूड़ों की सूजन कम करने में लाभकारी होता है. इसके उपयोग से खांसी में राहत मिलती है. इतना ही नहीं पेट में कीड़े होने पर इसका रस पीने से कीड़े खत्म हो जाते है.
बथुआ में पाए जाने वाले केरिडोल के कारण आंत में कीड़े और एस्केरिस को भी खत्म किया जा सकता है. कब्ज होने पर इसके पत्ते के प्रयोग से राहत पाई जा सकती है. लिकोरिया से पीड़ित व्यक्ति द्वारा इसके उपयोग से फायदा होता है.
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