कई माता-पिता अपने बच्चों की कम होती भूख को लेकर चिंतित रहते हैं। अगर आपका बच्चा भी खाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है, तो यह सामान्य नहीं है। इसके पीछे शारीरिक, मानसिक या खानपान से जुड़ी कई वजहें हो सकती हैं। भूख न लगने से बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है, इसलिए समय रहते सही उपाय करना जरूरी है।
बच्चों में भूख कम होने के कारण
आयरन और जिंक की कमी
आयरन और जिंक की कमी से भूख कम हो जाती है और पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है।
ज्यादा जंक फूड खाना
अगर बच्चा ज्यादा चिप्स, बिस्किट, चॉकलेट और फास्ट फूड खाता है, तो उसकी भूख पर असर पड़ सकता है।
शारीरिक गतिविधि की कमी
बच्चे अगर ज्यादा मोबाइल, टीवी या वीडियो गेम्स में लगे रहते हैं और शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं रहते, तो उनकी भूख कम हो जाती है।
पेट में कीड़े (Intestinal Worms)
बच्चों के पेट में कीड़े होना एक सामान्य समस्या है, जो भूख न लगने का एक बड़ा कारण हो सकता है।
तनाव या मानसिक दबाव
अगर बच्चा किसी तनाव, डर या चिंता से गुजर रहा है, तो उसका असर उसकी भूख पर भी पड़ सकता है।
बार-बार स्नैक्स खाना
अगर बच्चा बार-बार छोटे-छोटे स्नैक्स खा रहा है, तो उसे मुख्य भोजन के समय भूख नहीं लगेगी।
बच्चों की भूख बढ़ाने के लिए कारगर उपाय
आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं
✔ अजवाइन और सौंफ – खाने से पहले अजवाइन और सौंफ का पानी देने से भूख बढ़ती है।
✔ हिंग और जीरा पानी – पेट की गैस और पाचन को सुधारने में मदद करता है।
आयरन और जिंक युक्त भोजन दें
✔ हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, ड्राई फ्रूट्स, और दही को डाइट में शामिल करें।
✔ बच्चों को भीगे हुए बादाम और अखरोट खाने के लिए दें।
शारीरिक गतिविधि को बढ़ाएं
✔ बच्चे को खेलने-कूदने और आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करें।
✔ दौड़ना, साइकिल चलाना और योग करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
हेल्दी और स्वादिष्ट खाना बनाएं
✔ बच्चों के लिए खाना रंगीन और रोचक बनाएं, ताकि वे खाने में दिलचस्पी लें।
✔ जबरदस्ती खाने के बजाय उनकी पसंद का हेल्दी फूड दें।
भोजन का सही शेड्यूल बनाएं
✔ बच्चों को हर दिन एक निश्चित समय पर भोजन कराएं।
✔ बहुत ज्यादा गैप न रखें, जिससे उनका पेट ज्यादा देर तक खाली न रहे।
डॉक्टर से सलाह लें (अगर समस्या बनी रहे)
अगर बच्चा लगातार भूख कम होने की समस्या से जूझ रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
बच्चों की भूख कम होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सही डाइट, नियमित शारीरिक गतिविधि और आयुर्वेदिक उपायों से इसे ठीक किया जा सकता है। माता-पिता को बच्चों पर सकारात्मक रूप से ध्यान देना चाहिए और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।