शिशुओं में पीलिया कितना खतरनाक हो सकता है? जानें सही बचाव के तरीके

छोटे बच्चों में पीलिया (जॉन्डिस) होना एक सामान्य समस्या है। जन्म के बाद कई शिशुओं की आंखें और त्वचा पीली दिखने लगती हैं। इसका मुख्य कारण शरीर में बिलीरुबिन का अधिक बनना होता है, जिससे नवजात में पीलिया की समस्या हो जाती है। आमतौर पर यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर भी हो सकती है। इसलिए माता-पिता को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं नवजात शिशुओं में पीलिया क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

नवजात शिशुओं में पीलिया क्यों होता है?
🔸 लिवर का पूरी तरह विकसित न होना – जन्म के बाद शिशु का लीवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे शरीर में बिलीरुबिन जमा हो जाता है और पीलिया हो सकता है।

🔸 RBC (लाल रक्त कोशिकाओं) का अधिक टूटना – नवजात शिशु के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं (RBCs) तेजी से टूटती हैं, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है और पीलिया की संभावना अधिक होती है।

🔸 मां और बच्चे के ब्लड ग्रुप का अलग होना – अगर मां और बच्चे का ब्लड ग्रुप अलग होता है, तो इससे नवजात में पीलिया होने की संभावना बढ़ सकती है।

🔸 गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार की कमी – अगर गर्भवती महिला का आहार संतुलित नहीं होता या पोषण की कमी रहती है, तो इससे बच्चे में जन्म के बाद पीलिया हो सकता है।

क्या नवजात में पीलिया खतरनाक हो सकता है?
✅ आमतौर पर 1-2 हफ्तों में पीलिया अपने आप ठीक हो जाता है।
⚠️ लेकिन अगर बिलीरुबिन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो यह बच्चे के दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे मानसिक विकास रुक सकता है।
⚠️ लंबे समय तक बना रहने पर यह लिवर को भी प्रभावित कर सकता है।

पीलिया से बचाव और इलाज कैसे करें?
✔️ ब्रेस्टफीडिंग बार-बार कराएं – नवजात शिशु को अधिक से अधिक स्तनपान कराएं, इससे शरीर से बिलीरुबिन जल्दी बाहर निकलता है और पीलिया जल्द ठीक हो सकता है।

✔️ धूप में रखें – हल्की धूप में कुछ समय के लिए बच्चे को रखने से भी पीलिया में सुधार होता है।

✔️ डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें – अगर बच्चे की त्वचा, आंखें अधिक पीली दिखें या सुस्ती बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। लापरवाही से यह गंभीर हो सकता है।

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