अक्सर लोग हार्ट रेट और पल्स रेट को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन असल में ये दोनों चीजें काफी अलग हैं और इनका हमारे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। हार्ट रेट से हम अपने दिल की सेहत का पता लगा सकते हैं, जबकि पल्स रेट हमारे शरीर की धमनियों की धड़कन को मापता है। दोनों का रोल अलग होता है, लेकिन दोनों ही शरीर की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं इनके बीच का फर्क और क्या होते हैं इनका शरीर पर प्रभाव।
हार्ट रेट
हार्ट रेट उस दर को कहते हैं, जिस पर आपका दिल धड़कता है। यह मापने के लिए यह देखा जाता है कि 1 मिनट में आपका दिल कितनी बार धड़कता है। हार्ट रेट स्थिति के अनुसार बदलता रहता है। उदाहरण के लिए, अगर आप एक्सरसाइज कर रहे हैं या किसी भागदौड़ वाले काम में लगे हैं, तो आपका हार्ट रेट बढ़ जाएगा। वहीं, अगर आप आराम कर रहे हैं तो आपका हार्ट रेट धीमा हो जाएगा। इस तरह, परिस्थिति के अनुसार हार्ट रेट घटता-बढ़ता रहता है, और यह शरीर की सेहत के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देता है।
पल्स रेट
पल्स रेट का माप हमारी धमनियों में होने वाले ब्लड फ्लो के दौरान किया जाता है। पल्स रेट से हार्ट की सेहत का पता चलता है। यदि आपकी धमनियों में रक्त का प्रवाह सही है, तो यह आपके हार्ट हेल्थ को सही बताता है। पल्स रेट वह दर होती है, जिस पर आपकी धमनियों में रक्त के प्रवाह के कारण नसें सिकुड़ती और फैलती हैं। इस प्रक्रिया को पल्स रेट कहा जाता है। पल्स रेट को कलाई या गले की नसों से मापा जा सकता है।
नार्मल हार्ट रेट
मेडिकल साइंस के अनुसार, 18-30 साल की उम्र के लोगों में हार्ट रेट औसतन 80.2 BPM (बिट्स प्रति मिनट) होता है। 30-50 उम्र के लोगों में यह 75.3-78.5 BPM के बीच होता है, और 50-70 साल के लोगों में यह 73.0-73.9 BPM तक हो सकता है। सामान्य तौर पर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हार्ट रेट ज्यादा होती है। वहीं, छोटे बच्चों में हार्ट रेट 70-120 BPM के बीच हो सकती है।
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