एंग्जाइटी एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जिससे प्रभावित व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। हालांकि, सही इलाज और स्वस्थ दिनचर्या अपनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। यदि आप या आपका कोई करीबी इस समस्या का सामना कर रहा है, तो तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से मदद लें।
कोविड-19 महामारी के बाद जीवनशैली में कई बदलाव आए हैं, और साथ ही नई परेशानियां भी सामने आई हैं। एंग्जाइटी एक ऐसी समस्या है, जो अब बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रही है। इस बीमारी में व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से घबराहट, चिंता, डर और तनाव महसूस करता है। समय के साथ, यह समस्या इतनी बढ़ सकती है कि व्यक्ति अपनी समस्या को किसी से साझा नहीं कर पाता और अकेले रहने की कोशिश करता है।
एंग्जाइटी के कई प्रकार होते हैं और एक प्रकार की एंग्जाइटी जिसे सनसेट एंग्जाइटी कहा जाता है, विशेष रूप से शाम के समय शुरू होती है। जैसे-जैसे सूरज डूबता है और रात का अंधेरा बढ़ता है, व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कई बार इस स्थिति में व्यक्ति आत्महत्या के विचारों तक पहुंच सकता है, जिसके लिए तुरंत डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।
सनसेट एंग्जाइटी के लक्षण: इस बीमारी के मानसिक और शारीरिक लक्षण दोनों होते हैं।
मानसिक लक्षण: व्यक्ति को घबराहट, चिंता और डर का अनुभव होने लगता है। वह हर समय महसूस करता है कि कुछ बुरा होने वाला है।
शारीरिक लक्षण: दिल की धड़कन तेज होना, पसीना आना, हाथ-पैरों में कंपन, सांस लेने में कठिनाई और थकान महसूस होना जैसे लक्षण होते हैं। रात को नींद न आना भी एक सामान्य लक्षण है।
सनसेट एंग्जाइटी के कारण:
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: जिन व्यक्तियों को पहले से चिंता या डिप्रेशन जैसी समस्याएं होती हैं, उनमें यह समस्या ज्यादा पाई जाती है।
हार्मोनल बदलाव: शाम के समय शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, जैसे मेलाटोनिन और कोर्टिसोल का स्तर, मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।
तनाव: पारिवारिक या ऑफिस का तनाव और जिम्मेदारियों का दबाव भी शाम के समय बढ़ जाता है।
सनसेट एंग्जाइटी का इलाज:
थेरेपी: सीबीटी (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) एक प्रभावी तरीका है, जो नकारात्मक विचारों को पहचानने और उन्हें बदलने में मदद करता है। प्रोफेशनल काउंसलिंग से भी तनाव कम किया जा सकता है।
दवाइयां: गंभीर मामलों में डॉक्टर एंटीडिप्रेसेंट या एंटी-एंग्जाइटी दवाइयां लिख सकते हैं।
योग और ध्यान: प्राणायाम, योग और ध्यान से मानसिक स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। गहरी सांस लेने की तकनीकें तनाव और घबराहट को तुरंत कम करती हैं।
सकारात्मक माहौल: सकारात्मक माहौल, हल्का संगीत, किताबें पढ़ना, या रचनात्मक गतिविधियों में समय बिताना एंग्जाइटी को कम करने में मदद करता है।
दिनचर्या में सुधार: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और लाइफस्टाइल में बदलाव से एंग्जाइटी पर काबू पाया जा सकता है।
डॉक्टर से कब संपर्क करें: अगर आपको या आपके किसी करीबी को लंबे समय तक एंग्जाइटी या सनसेट एंग्जाइटी की समस्या बनी रहती है, तो तुरंत प्रोफेशनल हेल्थ एक्सपर्ट्स या डॉक्टर से संपर्क करें।
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