निजता और डेटा (निजी सूचना) सुरक्षा जोखिमों के चलते चार में से एक संगठन ने जनरेटिव-कृत्रिम मेधा (जेन-एआई) पर प्रतिबंध लगा दिया है। संचार कंपनी सिस्को की एक शोध रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला है।
शोध रिपोर्ट ‘सिस्को 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी’ भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मेक्सिको, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में 2,600 निजता एवं सुरक्षा पेशेवरों से बातचीत पर आधारित है।
अध्ययन से पता चलता है कि अधिकांश कंपनियां डेटा गोपनीयता और सुरक्षा मुद्दों पर जेन-एआई के उपयोग को सीमित कर रही हैं और 27 प्रतिशत ने इसके उपयोग पर कम से कम अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
अमेरिका की कंपनी सिस्को की शोध रिपोर्ट के अनुसार, “चार में से एक से अधिक संगठनों ने गोपनीयता और डेटा सुरक्षा जोखिमों के कारण जेन-एआई के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।”
रिपोर्ट में जेनएआई के साथ बढ़ती गोपनीयता चिंता, एआई के उपयोग पर संगठनों के सामने आने वाली भरोसे संबंधी चुनौतियों और सूचनाओं को बेचने आदि का उल्लेख किया गया है।
इस सर्वेक्षण के सातवें संस्करण में पाया गया कि निजता नियामकीय अनुपालन से कहीं आगे का मामला है।
कंपनियों की प्रमुख चिंताओं में कानूनी और बौद्धिक संपदा अधिकार (69 प्रतिशत) को जोखिम और जनता या प्रतिस्पर्धियों के सामने जानकारी साझा करने का जोखिम (68 प्रतिशत) शामिल है।
सिस्को ने कहा, “अधिकांश संगठन इन जोखिमों के बारे में जानते हैं और इसे सीमित करने के लिए नियंत्रण स्थापित कर रहे हैं। इनमें 63 प्रतिशत ने सीमाएं स्थापित की हैं कि कौन सा डेटा दर्ज किया जा सकता है, 61 प्रतिशत ने सीमाएं निर्धारित की हैं कि जेन-एआई माध्यम का उपयोग कर्मचारियों द्वारा किया जा सकता है, और 27 प्रतिशत ने कहा उनके संगठन ने कुछ समय के लिए जेन-एआई अनुप्रयोगों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था।”
फिर भी, कई व्यक्तियों ने ऐसी जानकारी दर्ज की है जो चिंता बढ़ा सकती है। इसमें कर्मचारी जानकारी (45 प्रतिशत) या कंपनी के बारे में गैर-सार्वजनिक जानकारी (48 प्रतिशत) शामिल है।
सिस्को के मुख्य विधि अधिकारी देव स्टालकॉफ ने कहा, “संगठन जेन-एआई को मौलिक रूप से भिन्न तकनीक के रूप में देखते हैं, जिसमें विचार करने के लिए नई चुनौतियां हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि जेन-एआई को डेटा और जोखिम को प्रबंधित करने के लिए नई तकनीक की जरूरत है।
– एजेंसी