नवजात शिशु की आंखों की जांच क्यों जरूरी है? जानें कारण और समय

हर माता-पिता अपने नवजात शिशु के स्वास्थ्य की पूरी देखभाल करते हैं, लेकिन कई बार बच्चों की आंखों की समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह सोचकर कि समस्या खुद ठीक हो जाएगी, माता-पिता अनजाने में शिशु की दृष्टि को खतरे में डाल सकते हैं। जन्म के समय ही कुछ दृष्टि संबंधी विकार हो सकते हैं, जो आगे चलकर गंभीर समस्या का रूप ले सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशु की आंखों की शुरुआती जांच उनकी दृष्टि को सुरक्षित रखने और किसी भी गंभीर नेत्र रोग को रोकने में मदद कर सकती है।

शिशु की आंखों की पहली जांच कब करानी चाहिए?
डॉक्टरों के अनुसार, नवजात शिशु की पहली नेत्र जांच जन्म के तुरंत बाद करानी चाहिए। यदि—
✅ शिशु समय से पहले (प्रीमैच्योर) जन्मा हो
✅ परिवार में दृष्टि संबंधी विकारों की हिस्ट्री हो
✅ शिशु की आंखों में कोई असामान्यता नजर आए

तो विशेष रूप से नेत्र परीक्षण करवाना जरूरी हो जाता है। इसके अलावा, यदि शिशु की आंखों में—
✔️ लगातार पानी आता है
✔️ आंखों में लालिमा बनी रहती है
✔️ रोशनी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता

तो बिना देर किए आंखों के डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।

नवजात शिशु की आंखों की जांच क्यों जरूरी है?
1. जन्मजात विकारों की पहचान
कुछ शिशु जन्म से ही मोतियाबिंद (कैटरैक्ट), ग्लूकोमा या रेटिना से जुड़ी समस्याओं के साथ पैदा हो सकते हैं। समय पर पहचान होने से इनका सही इलाज संभव हो सकता है।

2. दृष्टि विकास की निगरानी
शिशु की दृष्टि जन्म के बाद धीरे-धीरे विकसित होती है। यदि किसी समस्या के संकेत प्रारंभिक अवस्था में मिल जाएं, तो समय पर इलाज कर दृष्टि सुधारने की संभावना बढ़ जाती है।

3. रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (ROP)
समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में यह गंभीर नेत्र रोग हो सकता है, जिससे अंधेपन की आशंका रहती है। लेकिन नियमित जांच से इस समस्या को रोका जा सकता है।

4. संक्रमण और एलर्जी
नवजात शिशु की आंखें संक्रमण और एलर्जी के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। प्रारंभिक जांच से किसी भी प्रकार की—
👀 आंखों में जलन
👀 लालिमा
👀 अत्यधिक पानी निकलने

जैसी समस्याओं का समाधान जल्द किया जा सकता है।

निष्कर्ष
नवजात शिशु की आंखों की देखभाल माता-पिता की सबसे अहम जिम्मेदारी है। छोटी-छोटी समस्याओं को नजरअंदाज करना बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। जन्म के तुरंत बाद नेत्र जांच करवाने से न केवल गंभीर बीमारियों की रोकथाम होती है, बल्कि शिशु की दृष्टि भी सुरक्षित रहती है।

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