पानी से फैलने वाला बैक्टीरिया बढ़ा सकता है गुलियन- बैरे सिंड्रोम के मामले

कुछ दिन पहले एचएमपीवी वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई थी, और अब गुलियन- बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। महाराष्ट्र के पुणे में इस बीमारी के 101 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 15 मरीज वेंटिलेटर पर हैं और एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। पुणे का स्वास्थ्य विभाग इस बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट है। यह बीमारी संक्रामक नहीं है, बल्कि एक ऑटो इम्यून डिजीज है, जो लाखों में से किसी एक व्यक्ति को होती है, लेकिन पुणे में इसके बढ़ते मामलों ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है।

गुलियन- बैरे सिंड्रोम क्या है और इसके पानी से कनेक्शन की बात?
गुलियन- बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपनी ही कोशिकाओं पर हमला कर देता है, जिससे मरीज को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुणे में इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि इस बीमारी के फैलने का कारण कुछ और हो सकता है।

क्यों होती है यह बीमारी?
GBS होने का मुख्य कारण इम्यून सिस्टम का शरीर की नसों पर हमला करना है, लेकिन कुछ अन्य फैक्टर्स भी हैं, जो इसके कारण बन सकते हैं, जैसे:

इन्फ्लूएंजा वायरस
साइटोमेगालो वायरस
एप्सटीन-बार वायरस
जीका वायरस
हेपेटाइटिस A, B, C, और E
HIV
माइकोप्लाज्मा निमोनिया
हॉजकिन लिंफोमा
पानी से कनेक्शन
पुणे नगरपालिका ने संक्रमित मरीजों के सैंपल लिए थे, जिनकी जांच में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला। यह बैक्टीरिया पानी में पाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति इस बैक्टीरिया वाले पानी को पीता है, तो यह बैक्टीरिया उसके शरीर में चला जाता है और उल्टी, दस्त जैसे लक्षण पैदा करता है। कुछ मामलों में यह डायरिया का कारण बनता है। चूंकि पुणे में संक्रमित मरीजों में यह बैक्टीरिया पाया गया है, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि यह बैक्टीरिया GBS का कारण हो सकता है।

जब कोई व्यक्ति पेट की बीमारी से ग्रसित होता है, तो उसमें GBS होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए पुणे में पानी के सैंपल लिए जा रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि कहीं यह बीमारी पानी से तो नहीं फैल रही है।

गुलियन- बैरे सिंड्रोम के लक्षण
इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में हाथ-पैरों में सुन्नता, झुनझुनी, बुखार, अचानक हार्ट बीट का बढ़ना और सांस लेने में परेशानी शामिल हैं। कुछ मामलों में पैरालिसिस (लकवा) हो सकता है, और मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है।

क्या है इसका इलाज?
GBS का कोई निर्धारित इलाज नहीं है। इसके इलाज में लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट किया जाता है। कुछ मामलों में प्लाजमा थेरेपी और इम्यूनोग्लोबिन थेरेपी से बीमारी को काबू में किया जा सकता है। यह बीमारी संक्रामक नहीं है, लेकिन अगर यह बैक्टीरिया से हो रही है, तो आने वाले दिनों में इसके और केस बढ़ने की संभावना है।

खुद को कैसे सुरक्षित रखें?

शुरुआती लक्षणों को पहचानें: झुनझुनी, सुन्नता, और मांसपेशियों की कमजोरी को नजरअंदाज न करें
साफ पानी पीकर संक्रमण से बचें
संक्रमित इलाकों में जाने से बचें
हाथ धोकर भोजन करें
बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लें

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