मोदी सरनेम केस में अब 20 अप्रैल को फैसला आएगा। सूरत के सेशन कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को उपस्थित न रहने की छूट दी थी। राहुल के वकील आरएस चीमा ने कोर्ट में तर्क दिया कि टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। साथ ही केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। चीमा ने आगे कहा कि, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है।
उन्होंने कहा सत्ता एक अपवाद है लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को ज्यादा नुकसान होगा। ऐसी सजा मिलना अन्याय है। एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा ने कहा कि वह 20 अप्रैल को फैसला सुनाएंगे।
वहीं, याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में गांधी की याचिका का विरोध करते हुए कहा था, कि कांग्रेस नेता बार बार मानहानि वाला बयान देने के आदी हैं। इसके पहले कोर्ट ने 3 अप्रैल को सुनवाई करते हुए राहुल को 15 हजार रुपए के मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी थी। आपको बता दें, कि राहुल ने सूरत कोर्ट में एक मुख्य याचिका और दो आवेदन लगाए थे। मुख्य याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई और इस पर 3 मई को सुनवाई होगी।
इसके अलावा पहले आवेदन में सजा पर स्टे की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए राहुल को अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि यह जमानत इस अर्जी पर फैसला आने तक रहेगी। वहीं, दूसरे आवेदन में कन्विक्शन पर स्टे की मांग की गई, जिसपर कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। आज इसी पर सुनवाई हो रही है।
आपको बता दें, 23 मार्च को मानहानि केस में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी। सजा का ऐलान होने के कुछ देर बाद ही उन्हें 30 दिन की जमानत दे दी गई थी। सजा सुनाए जाने के अगले ही दिन लोकसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे।
– एजेंसी/न्यूज़ हेल्पलाइन