एक तरफ किसान आंदोलन 2.0 के शुरू होते ही कांग्रेस इसके समर्थन में नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने किसानों के समर्थन में आकर दावा किया कि उनकी सरकार केंद्र में आई तो वह स्वामिनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करेगी।
लेकिन, यूपीए सरकार के दौरान जब एमएसपी को लेकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का प्रस्ताव सरकार के सामने आया था तो उनके द्वारा जो जवाब दिया गया था वह जानकर आपको भी हैरानी होगी। इस कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने से यूपीए सरकार के द्वारा मना कर दिया गया था।
बता दें कि इससे पहले स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर भी कई कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया था कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित तो किया गया लेकिन उनकी किसानों की एमएसपी को लेकर जो सिफारिश की गई थी उसे नरेंद्र मोदी सरकार लागू कर देती तो ज्यादा अच्छा होता।
स्वामीनाथन आयोग का गठन नवंबर 2004 में किया गया था। हरित क्रांति के जनक और महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन इस ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’ के अध्यक्ष थे।
ऐसे में एमएस स्वामीनाथन ने 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और पैदावार को बढ़ाने को लेकर कई सुझाव दिए थे और साथ ही कई सिफारिशें की थी।
इसमें सबसे अहम सुझाव एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर था। समिति की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य को औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की गई थी, जिससे छोटे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल सके।
आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित नहीं रहे।
स्वामीनाथन आयोग की इस रिपोर्ट में एमएसपी फॉर्मूले को तब की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2007 में को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे बाजार खराब हो जाएगा और यह काउंटर प्रोडक्टिव होगा। वही कांग्रेस अब वादा कर रही है कि अगर वह सत्ता में वापस आई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देगी।
– एजेंसी