संयुक्त राष्ट्र ने विलुप्त होने के कगार पर पहुंची भाषाओं को बचाने की शुरू की पहल

न्यूयार्क (एजेंसी/वार्ता): संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर की ऐसी देशज भाषाओं को विलुप्ति से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय देशज भाषा दशक की शुरूआत की है।संयुक्त राष्ट्र महासभाग के अध्यक्ष साबा कोरोसी ने शुक्रवार को कहा “ इन देशों की भाषाओं को बचाना केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। जब कोई देशज भाषा विलुप्त होती है तो उसके साथ उससे जुड़ी संस्कृति , परंपरा और ज्ञान भी विलुप्त हो जाता है।”

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों से जुड़े विभाग के अनुसार दुनिया भर में मोटा -माटी तौर पर लगभग 4000 से अधिक देशज लोग लगभग 6700 देशज भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। एक कंसरवेटिव आंकडे के अनुसार इन सभी भाषाओं में से आधे से अधिक इस शताब्दी के अंत तक विलुप्त हो जायेंगी।

कोरोसी हाल ही में माँट्रियल में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता कॉंफ्रेंस में हिस्सा लेकर लौटे हैं और उन्होंने कहा “ अगर हम सफलतापूर्वक प्रकृति को बचाना चाहते हैं तो हमले देशज लोगों को उनकी भाषा में ही सुनना और समझना होगा। दुनिया में जो भी जैवविविधता आज बची है उसका लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं लोगों ने बचाकर रखा है। इसके बावजूद हर दो सप्ताह में एक देशज भाषा नष्ट हो रही है। यह ऐसा तथ्य है जिस पर हमें चेत जाना चाहिए।”

संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष ने देशज समुदायों के अधिकारों के संरक्षण के साथ उनको शिक्षित करने और स्थानीय भाषा को बचाने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका और उनके ज्ञान का शोषण न हो । उन्होंने सलाह दी कि संभवत: यह सबसे अच्छा होगा कि देशज लोगों को प्रकृति को बचाने के लिए होने वाले हर विचार विमर्श में शामिल किया जाए और उनसे सारपूर्ण चर्चा की जाए।

इस अवसर पर 22 सदस्यीय ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स ऑफ इंडिजीनस पीपुल्स के स्थान पर बैठक में मेक्सिको के संयुक्त राष्ट्र राजदूत जुआन रमॉन डी ला फ्यूएंते ने कहा कि भाषा मात्र कुछ शब्द नहीं हैं। यह बोलने वाले लोगों की पहचान की खुशबू और ऐसे सभी लोगों की समेकित आत्मा होती है। भाषा इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की वाहक होती है और आज भाषाएं बड़ी तेजी के साथ नष्ट हो रहीं हैं और यह बेहद चिंताजनक है।

कोलंबिया की संयुक्त राष्ट्र राजदूत और एक अरहुआको महिला लियोनर ज़लाबाटा टोरेस ने कहा “ भाषा ,ज्ञान की छाया और सांस्कृतिक पहचान तथा हमारी दैनिक सत्यता को सारगर्भित अर्थ देने का एक माध्यम है जिसे हमने अपने पूर्वजों से पाया है।यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाषायी विविधता आज संकट में है।आज बहुसंख्यक समाज की भाषाओं द्वारा बड़ी नाटकीय रूप में देशज भाषाओं को दबाया जा रहा है जिससे वह नष्ट होने की कगार पर पहुंच गयी हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कोलंबिया की सरकार दुनियाभर की इन देशज भाषाओं को बचाने के लिए एक 10 वर्षीय योजना को लाऐ जाने की प्रतिबद्धता पर जोर देती है।

-एजेंसी/वार्ता

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