पार्क में एक पेड़ की ओट में लड़का-लड़की हाथों में हाथ लिए चिपक कर बैठे बातें कर रहे थे.
वहाँ टहलने आए एक बुजुर्ग सज्जन ने जब उन्हें देखा तो पास आकर बोले –
“बेटा, क्या यही हमारी संस्कृति है ?”
पप्पू ने तपाक से जवाब दिया –
“नहीं अंकल, ये तो अंजलि है…
आप किसी और पेड़ के नीचे जाकर देख लो !!!”😜😂😂😂😛🤣
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पहला कैदी – शक्लें भी खूब धोखा देती हैं। एक बार एक साहब मुझे दिलीप कुमार समझ बैठे।
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दूसरा कैदी – ठीक कह रहे हो, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मुझे देखकर एक साहब जवाहरलाल नेहरू का धोखा खा गए।
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तीसरा कैदी – अजी, यह तो कुछ भी नहीं। मैं जब चौथी बार जेल पहुंचा तो जेलर बोला – हे भगवान ! तू फिर आ गया।😜😂😂😂😛🤣