त्रिपुरा में पुलिस की बर्बरता के खिलाफ तृणमूल ने खटखटाया मानवाधिकार का दरवाजा

अगरतला (एजेंसी/वार्ता): त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और विपक्षी दलों के समर्थकों पर पुलिस और सुरक्षा बलों के कथित अत्याचार की निष्पक्ष जांच की मांग की है और इसके लिए त्रिपुरा मानवाधिकार आयोग (टीएचआरसी) का दरवाजा खटखटाया है।

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन में विपक्षी दलों, मीडिया और आम जनता के खिलाफ पुलिस की उपस्थिति में सत्तारूढ़ दल द्वारा हिंसा और हमलों के कारण त्रिपुरा की काफी बदनामी हुयी है। तृणमूल कांग्रेस के राज्य प्रभारी राजीव बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा कार्यकर्ता पुलिस के सामने हथियारों से लैस होकर घूम रहे हैं और लोगों को पीट रहे हैं, लेकिन पुलिस पीड़ितों के ही खिलाफ मामला दर्ज कर रही और अपराधियों को संरक्षण दे रही है।

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पीयूष विश्वास और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव की एक टीम ने बुधवार को टीएचआरसी अध्यक्ष से मुलाकात की और राज्य के शिक्षा मंत्री के आवास के सामने नौकरी की मांग करने गए स्नातक और परास्नातक अभ्यथियों पर सुरक्षा बलों की ओर से किए गए हमलों का ब्यौरा देते हुए ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि भाजपा ढेरों प्रलोभनों के सहारे सत्ता में आई थी, जिसमें सालाना 50,000 नौकरियां देने जैसे बड़े-बड़े वादे शामल थे।

उन्होंने कहा कि शिक्षक की नौकरी की मांग करने पर योग्य अभ्यथियों को पिछले कुछ महीनों से तंग किया जा रहा है और जब मजबूर नौकरीपेशा लोगों ने शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ के घर के बाहर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और इस दौरान एक गर्भवती मां सहित 47 लोगों को घायल हुए। उन्होंने कहा कि घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में पुलिस की ओर से कोई मदद नहीं की गई।

इस स्थिति में त्रिपुरा पुलिस का व्यवहार नृशंस है। तृणमूल ने ज्ञापन में कहा कि पुलिस की ओर से लाठीचार्ज करना और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को अत्यधिक बल का प्रयोग करके घायल अनुचित है।

-एजेंसी/वार्ता

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