क्या आपने कभी सोचा है कि किसी रिटेल स्टोर से सामान खरीदने के बाद आपके पास अचानक अनजान नंबरों से कॉल्स और मैसेज आना क्यों शुरू हो जाते हैं? कभी डिस्काउंट ऑफर, कभी बैंक की स्कीम… ये सब अक्सर बिना आपकी इजाजत के होता है। इसे ही कहा जाता है कमर्शियल या स्पैम कॉल्स।
अब इस समस्या से राहत दिलाने के लिए TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) ने एक नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें ग्राहकों की डिजिटल सहमति (Digital Consent) के बिना कंपनियों को कॉल या मैसेज भेजने की इजाजत नहीं होगी।
📌 क्यों लिया गया ये फैसला?
अभी तक कंपनियां दावा करती थीं कि उन्होंने कस्टमर से ऑफलाइन कंसेंट (सहमति) ले ली है, लेकिन इसकी कोई ठोस जांच नहीं होती थी। इसी का फायदा उठाकर स्पैम कॉल्स बढ़ गईं।
अब TRAI ने फैसला लिया है कि कंपनियों को डिजिटल माध्यम से सहमति लेनी होगी, और इसे एक खास डिजिटल रजिस्ट्री में दर्ज करना होगा।
📖 क्या है Digital Consent Registry?
TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर एक “डिजिटल कंसेंट रजिस्ट्री” बनाई है। इसका मकसद यह है कि जब कोई कंपनी ग्राहक से सहमति ले, तो वह डेटा सिस्टम में रजिस्टर हो जाए।
अब कोई भी कंपनी अगर कॉल या मैसेज भेजना चाहती है, तो उसे पहले यह साबित करना होगा कि ग्राहक की सहमति डिजिटल रूप से दर्ज है। अगर ऐसा नहीं है, तो कंपनी को अनुमति नहीं मिलेगी।
🚀 कब और कहां से हुई शुरुआत?
इस नियम को TRAI ने 13 जून से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया है। इसके लिए RBI और चुनिंदा बैंकों के साथ मिलकर शुरुआत की गई है। अब बैंकों को अपने कस्टमर्स से डिजिटल सहमति लेनी होगी, नहीं तो वे उन्हें कॉल नहीं कर सकेंगे।
⚠️ बिना इजाजत कॉल करने वालों का क्या?
अगर कोई कंपनी या रिटेलर डिजिटल कंसेंट के बिना कॉल करता है, तो:
उसका नंबर ब्लॉक किया जा सकता है
TRAI एक्शन ले सकता है
ग्राहक को शिकायत का अधिकार होगा
✅ आम लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?
स्पैम कॉल्स से राहत मिलेगी
केवल वही कॉल्स और मैसेज आएंगे जिन्हें आपने इजाजत दी हो
आपकी प्राइवेसी बनी रहेगी
फालतू के प्रमोशनल मैसेज और कॉल्स से छुटकारा मिलेगा
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