मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन गया है तंबाकू, जानिए कैसे करता है बॉडी को ‘खोखला’

यूं तो सरकार किसी भी तरह के धूम्रपान के खिलाफ काफी अभियान चलाती है लेकिन इसके बावजूद लोग तंबाकू का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं. आपको बता दें कि तंबाकू के सेवन से मुंह के कैंसर (Oral cancer) के मामले तेजी से बढ़े हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि दुनिया भऱ में पुरुषों के साथ साथ महिलाओं में भी ओरल कैंसर के मामलो में तेजी से इजाफा हुआ है. रिपोर्ट कहती हैं कि ओरल कैंसर के कारणों में लगभग अस्सी फीसदी हाथ तंबाकू के सेवन को माना गया है.

भारत में हर पांच पुरुषों में एक को कैंसर
कई चेतावनी और सेहत संबंधी नुकसानों के बावजूद लोग तंबाकू छोड़ नहीं पाते. आपको बता दें कि भारत में ही रोज करीब 3500 लोग तंबाकू जनित बीमारियों के चलते जान गवां देते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय है कि तंबाकू तो मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है ही, इसके अलावा अल्कोहल का ज्यादा सेवन और ओरल इफ्लेमेशन यानी मुंह के अंदर किसी भी तरह की बीमारी भी कैंसर की वजह बनती है. भारत जैसे देश की बात करें तो मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू को कहा गया है. कैंसरइंडियाओआरजी द्वारा कराए गए अध्ययन के अनुसार डेली करीब तीन हजार पांच सौ लोगों की मौत तंबाकू जनित ओरल कैंसर की वजह से होती है.

मुंह के कैंसर को इस तरह बढ़ावा देता है तंबाकू
डॉक्टर कहते हैं तंबाकू पान, गुटखा और पान मसाला में डाला जाता है और इसमें कैंसर को बढ़ावा देने वाले एलिमेंट्स मौजूद होते हैं. भारत में गुटखा और पान मसाला खाने वालों की तादाद काफी ज्यादा है. जब कोई तंबाकू, पान मसाला या गुटखा को मुंह के अंदर रखता है और जितनी देर रखता है, उतनी देर का टाइम ऑफ एक्सपोजर होने पर उसका एब्जॉर्शन रक्त में होता रहता है. इस एब्जॉर्शन के जरिए ही तंबाकू के कैंसर फैलाने वाले एलिमेंट्स मुंह में घुलकर कैंसर का कारण बन जाते हैं. इसके अलावा जितनी देर तंबाकू मुंह के अंदर म्यूकोजा (जहां तंबाकू देर तक चिपका रहता है) में रहता है, ये फैक्टर भी कैंसर का कारण बनता है.

डॉक्टरों का मानना है कि तंबाकू के साथ साथ जो लोग अल्कोहल का भी सेवन करते हैं उन्हें दूसरे लोगों के मुकाबले कैंसर होने का 36 फीसदी ज्यादा रिस्क हो जाता है. जो लोग केवल तंबाकू खाते हैं, उन्हें कैंसर होने की संभावना 18 फीसदी ज्यादा होती है. आपको बता दें कि पहले तंबाकू को सिरगेट के भीतर डालकर पिया जाता था और उस दौर में गले का कैंसर होने के ज्यादा केस सामने आते थे.

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