फल गुणों की खान होते हैं. इनका नाम भी इसलिए फल रख जाता है, क्योंकि स्वास्थ्य के लिए इनका रिजल्ट पॉजीटिव होता है. पपीता आमतौर पर सभी ने खाया होगा. बीमार होने पर डॉक्टर रिकमंड करते हैं. पेट संबंधी बीमारी, ब्लड की कमी होने या अन्य परेशानी होने पर पपीता खाने की सलाह देते हैं. लेकिन आमतौर पर पका हुआ पपीता ही ठेले खोमचे पर बिका हुआ दिख जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जितना पका पपीता गुणों की खान है. कच्चा पपीता भी उससे कम नहीं है.
जानकारों का कहना है कि यदि डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो उनके लिए पपीते का फल रामबाण की तरह काम करता है. एक रिसर्च में सामने आया है कि पपीते का रस बीटा कोशिकाओं को नवजीवन देने का काम आता है. इंसुलिन का लेवल कम होने पर डायबिटीज होता है. कच्चा पपीता इंसुलिन को मैनेज करने का काम करता है. यह ब्लड में इसुलिन बढ़ाने का काम करता है.
किसी नवजात शिशु के लिए स्तनपान के एक प्रोसेस है. कच्चे स्तन पान यानि ब्रेस्ट फीडिंग को बढ़ाने से जुड़ा एक यौगिक पाया जाता है. यह गैलेक्टागॉग बनाने का काम करता है. इससे ब्रेस्ट में दूध बनने की प्रक्रिया बेहतर होती है. पारंपरिक चिकित्साओं में भी कच्चे पपीते को स्तनपान की प्रक्रिया बढ़ाने में किया जाता है.
पपीते एंजाइंम से भरपूर होता है. इसके अलावा इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट्स, पपैन, काइमोपैन की मौजूदगी पाई जाती है. ये सभी पाचन तंत्र में सुधार करने काम करते हैं. बॉडी में विभिन्न प्रक्रियाओं से जो जहरीले टॉक्सिंस बन रहे हैं. इसमें इन्हें निकालने में मदद मिलती है. पपीते मेें मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन ए, सी, ई और बी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं.
पाचन का सीधा संबंध वजन घटनेे और बढ़ने से ही होता है. यदि आप नियमित रूप से इसका सेवन कर रहे हैं तो इससे वजन नियंत्रित होता है. डॉक्टरों का कहना है कि पपीते में पाए जाने वाले एंजाइम वसा, प्रोटीन और कार्बाेहाइड्रेट को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. इसी से वजन कम होता है.
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