मोशन कभी ठीक से ना होना. दस्त लगना, बहुत टाइट मोशन होना या फिर झागदार और तेज दुर्गंध के साथ मल आना. ये सभी सीलिएक रोग को लक्षण हैं. सीलिएक छोटी आंत से संबंधित बीमारी है. इसे पाचन संबंधी डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इस रोग में छोटी आंत पचाए गए भोजन से पोषक तत्व नहीं सोख पाती है. इस कारण मोशन के समय दर्द होना या पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहना भी इस बीमारी का एक लक्षण होता है.
पेट में सूजन आना
पेट में दर्द रहना
मितली आने की समस्या बनी रहना
पेट का फूलना
लूज मोशन आना
मोशन बहुत सख्त आना
मूड खराब रहना
बहुत अधिक गुस्सा आना
वजन घटना
बहुत कमजोरी फील होना
हर समय थकान रहना
सिलिएक रोग की जांच कैसे होती है?
यदि यहां बताए गए लक्षण आपको नजर आते हैं तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें. वह आपको ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देंगे और जरूरी होने पर आंत से छोटा-सा टिश्यू लेकर इसकी जांच भी करा सकते हैं.
इसके बाद दवाओं और सही भोजन के साथ आप इस रोग को कंट्रोल कर सकते हैं. डॉक्टर इस बीमारी में ग्लूटन फ्री डायट का सख्ती से पालन कराते हैं. क्योंकि सीलिएक रोग ग्लूटन के कारण ट्रिगर होता है या कहिए कि पाचनतंत्र को यदि ग्लूटन से एलर्जी होती है तो वो सीलिएक रोग के रूप में रिऐक्शन देता है.
क्यों होता है सीलिएक रोग?
ग्लूटन एक तरह का प्रोटीन होता है, जो गेहूं के आटे और डेली डायट में यूज होने वाले कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है. लेकिन कुछ लोगों की इम्युनिटी और डायजेस्टिव सिस्टम को ग्लूटन से एलर्जी होती है. ऐसे में ये लोग अगर आटा, मैदा, सूजी इत्यादि से बनी डिशेज खाते हैं तो इन्हें पाचन संबंधी समस्या हो जाती है और जिन समस्याओं का जिक्र ऊपर किया गया है, वे परेशान करने लगती हैं.
क्या खाएं?
चावल, चावल का आटा, बाजरे की खिचड़ी, चपाती इत्यादि. साथ ही हरे फल, सब्जियां और ड्राई फ्रूट्स.
इस बात का ध्यान रखें कि ग्लूटन शरीर के लिए जरूरी भी होता है. और किसी भी ग्लूटन फ्री आहार का मतलब ये नहीं होता है कि इसमें बिल्कुल ग्लूटन नहीं है.
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