पिंटू जी ने पूछा- ‘अरे वाह चंदूजी!
ये सुंदर सजीली कार आपकी है?
चंदूजी ने खुलासा किया- ‘हाँ! है भी! नहीं भी!
पिंटू जी चौंके – ‘क्या मतलब?
चंदूजी ने समझाया- ‘भैया, जब शॉपिंग करनी होती है, यह मेरी पत्नी की कार होती है। जब साथियों के साथ पिकनिक का
प्रोग्राम बनता है यह मेरे बच्चे की कार होती है और जब इसे पेट्रोल और मरम्मत की जरूरत होती है, यह मेरी कार बन जाती
है।😜😂😂😂😛🤣
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पिंटू जी बाजार से निकले तो नजर पड़ी आर्टिस्ट की दुकान पर रखी किसी बहादुर
सिपाही की तसवीर पर। उन्हें वह तसवीर इतनी पसंद आई कि खरीदने का मन बना
लिया।
दुकानदार ने कीमत बताई पचास रुपए, लेकिन पिंटू जीजी की जेब में निकले कुल
अडतालीस रुपए। दूसरे रोज पन्नूजी जब पहुँचे, तस्वीर बिक चुकी थी।
एक-दो महीने बाद पिंटू जी अपने मित्र से मिलने पहुँचे तो बहादुर सिपाही की उसी
तस्वीर को वहाँ लगा पाया।
पूछ बैठे- क्यों मित्र यह तस्वीर किसकी?
जवाब मिला हमारे परिवार के बुजुर्ग की है।
पिंटू जी बोले- दो रुपए कम पड़ गए, दोस्त। वर्ना ये हमारे बुजुर्ग होते।😜😂😂😂😛🤣
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पिंकी- सालभर तक तो मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पतिदेव शाम के वक्त कहाँ रहते हैं?
लाजो- फिर कैसे पता चला?
पिंकी- एक शाम मैं ही जल्दी घर आ गई तो देखा वे घर पर ही थे।😜😂😂😂😛🤣