उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना ने रविवार को कहा कि कानूनों को सरल, सुलभ, अधिक मानवीय और युवा पीढ़ी के लिए प्रासंगिक बनाने की ‘सख्त जरूरत’ है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि भारतीय संविधान लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव डालने वाला एक ‘सजीव दस्तावेज’ है। उन्होंने सभी से ‘दृढ़ संकल्प, एकता और आशावाद के साथ आगे बढ़ने’ का आग्रह किया। वह अगले साल नवंबर में मौजूदा प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद देश के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनने वाले हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना शीर्ष अदालत में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर को 1949 में भारत के संविधान को अंगीकार करने के उपलक्ष्य में 2015 से इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले, इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ”चूंकि हम 74वां संविधान दिवस मना रहे हैं, हम खुद को अपने राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण में पाते हैं। भारतीय संविधान को बार-बार एक सजीव दस्तावेज के रूप में वर्णित किया गया है, क्योंकि यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। इसने 1950 में 35 करोड़ लोगों का जीवन बदल दिया था और आज भी 140 करोड़ लोगों के जीवन पर इसकी अमिट छाप और प्रभाव बना हुआ है।”
शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा, ”आज जब हम अपनी कानूनी प्रणाली के उद्देश्यों पर विचार कर रहे हैं, तो हमें अपने कानूनों को अधिक सरल और सुलभ (एवं) युवा पीढ़ी के लिए प्रासंगिक तथा अधिक मानवीय बनाने की तत्काल आवश्यकता को समझना चाहिए।’
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि सकारात्मक कार्रवाई, एक मजबूत केंद्र के साथ एक अद्वितीय संघीय प्रणाली, गैर-भेदभाव, 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव तथा न्यायालयों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21 की व्याख्या सभी को भविष्य की दिशा तय करने के लिए प्रेरित करती हैं।
– एजेंसी