राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि सरकार, भारत की युवाशक्ति की शिक्षा और उनके कौशल के विकास के लिये निरंतर नये कदम उठा रही है, इसके लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनायी गयी और उसे तेजी से लागू किया जा रहा है।
श्रीमती मुर्मु ने संसद के बजट सत्र से पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा और भारतीय भाषाओं में शिक्षा पर बल दिया गया है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, कानून जैसे विषयों की पढ़ाई भारतीय भाषाओं में प्रारंभ कर दी गयी है। स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये उनकी सरकार, 14 हज़ार से अधिक पीएम श्री विद्यालयों पर काम कर रही है। इनमें से छह हज़ार से अधिक विद्यालय शुरू हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से देश में ड्रॉप आउट रेट (स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों का अनुपात) कम हुआ है। उच्च शिक्षा के लिये छात्राओं के दाखिले ज्यादा हो रहे हैं। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के नामांकन में लगभग 44 प्रतिशत वृद्धि हुई है। अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की 65 फीसदी और अन्य पिछड़ी जातियों के विद्यार्थियों की 44 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिये अटल इनोवेशन मिशन के
अंतर्गत 10 हज़ार अटल टिंकरिंग लैब स्थापित की गयी हैं। इनमें एक करोड़ से अधिक विद्यार्थी जुड़े हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2014 तक देश में सात एम्स और 390 से भी कम मेडिकल कॉलेज थे जबकि पिछले दशक में 16 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और 315 मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये हैं और 157 नर्सिंग कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं। पिछले दशक में एमबीबीएस की सीटों में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।
– एजेंसी