संघर्ष से चमका सितारा: वैभव सूर्यवंशी की कहानी

सफलता सिर्फ सपनों से नहीं मिलती, उसके पीछे होता है त्याग, बलिदान और अथक मेहनत। वैभव सूर्यवंशी की आईपीएल तक की यात्रा भी ऐसी ही एक मिसाल है। यह सिर्फ एक बच्चे की मेहनत नहीं, बल्कि पूरे परिवार की तपस्या की कहानी है—पिता का संघर्ष, मां का बलिदान और बड़े भाई की जिम्मेदारी ने मिलकर एक क्रिकेटर को जन्म दिया।

पिता: संघर्ष की नींव
वैभव कहते हैं, “पापा मेरी जान हैं। उन्होंने मुझ पर यकीन किया और मेरी खातिर अपनी नौकरी तक छोड़ दी। घर चलाना मुश्किल हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मुझे रोज़ क्रिकेट एकेडमी लेकर जाते और वापस लाते। उनकी मेहनत और आस्था ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया। भगवान भी तब मदद करता है जब इंसान खुद मेहनत करता है।”

मां: नींद त्याग कर रच दिया सपना
वैभव की मां का समर्पण भी किसी तपस्विनी से कम नहीं रहा। “मां सिर्फ 3 घंटे सोती थीं,” वैभव भावुक होकर बताते हैं। “रात 2 बजे उठकर मेरी प्रैक्टिस की तैयारी करती थीं। उनके बिना यह सफर अधूरा था।”

बड़ा भाई: जिम्मेदारी की मिसाल
वैभव के बड़े भाई ने अपने छोटे भाई की सफलता के लिए अपने सपनों को होल्ड पर रख दिया और परिवार की जिम्मेदारियां संभाल लीं। ये वही पारिवारिक एकता है जो एक खिलाड़ी को मानसिक ताकत देती है।

मेहनत जो रंग लाई
समस्तीपुर से पटना की ज़ेनिथ क्रिकेट एकेडमी तक वैभव हर सुबह 6 बजे पहुंचते थे। उससे पहले ट्यूशन पढ़ते, फिर दिनभर 500-600 गेंदों की प्रैक्टिस करते थे। यही कठोर परिश्रम आज उन्हें आईपीएल के मंच तक ले आया है। और इसी मेहनत का फल था जब 14 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला आईपीएल शतक जड़ा।

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