कहते है उम्र का तजुर्बा बहुत ही खास होता है, और ये तजुर्बे हमारे घर के बड़े बुजुर्गों के होते है, जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे शरीर में परिवर्तन आने लगते है कुछ अच्छे तो कुछ बुरे। बड़ती उम्र को पार करते ही शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं। जिसकी वजह से मांसपेशियों में लचीलापन, हड्डियों का कमजोर हो जाना, एनर्जी की कमी ये सभी शामिल है।
अब उम्र के हिसाब से व्यक्ति को खुद का अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही हम बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। महिला हो या पुरुष उम्र के बाद शरीर में काफी बदलाव नजर आते हैं। उम्र के साथ साथ शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं। जिसके कारण मांसपेशियों में लचीलापन, हड्डियों का कमजोर होना, एनर्जी कम होना ऐसे कई अन्य लक्षण भी पाए जाते हैं। बढ़ती उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। बुजुर्गों में साइकोलॉजिकल समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। मेंटल हेल्थ भी बुजुर्गों के लिए बहुत जरूरी है, तभी वे खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
अल्जाइमर और डिमेंशिया की बीमारी
बढ़ती उम्र में अल्जाइमर और डिमेंशिया की बीमारी बहुत ही आम होती है। डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे नई चीजों को सीखने की इच्छा कम हो जाती है। ये ऐसी समस्याएं हैं जो कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती हैं। कुछ बीमारियां ऐसे होती है जिनकी दवाइयां लंबी अवधि तक लेनी पड़ती है। दवाई का लंबे समय तक सेवन किया जाता है तो उससे भी न्यूरोलॉजिकल नुकसान होता है। उम्र का असर लोगों के नर्वस सिस्टम पर होने के कारण दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में प्रोग्रेसिव बदलाव देखा जाता है। नसों में इंपल्स ट्रांसमिशन धीमी हो जाती है जिसके कारण याददाश्त पर बुरा असर होता है।
दिल की बीमारी
लाइफस्टाइल के चलते दिल।की बीमारी बहुत ही आम हो चुकी है। लेकिन यह बीमारी 50 साल से ऊपर के उम्र में भी याद देखी गई है। उम्र के साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है। भारतीय बुजुर्गों में यह बीमारी ज्यादा संख्या में पाए जाती है।
हड्डियां कमजोर होने लगती है
उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में तेजी से कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होने लगती हैं जिस वजह से शरीर की हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं। किसी कारण अगर चोट लग जाए तो हड्डी टूटने का दर बना रहता हैं।
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