प्रेग्नेंसी किसी भी महिला का जीवन का अहम हिस्सा है. विवाह के बाद हर महिला की ख्वाहिश होती है कि मां बने. लेकिन आजकल खराब हो रही लाइफ स्टाइल, बढ़ते स्ट्रेस और अन्य वजहों से प्रेग्नेंसी की क्षमता पर प्रभाव पड़ा है. डॉक्टरों का कहना है कि मानसिक तनाव अधिक होना, काम का बोझ. ये सभी ऐसे कारक हैं, जोकि डायरेक्टली प्रजनन क्षमता पर असर डालते हैं. इस प्रभाव की जानकारी महिलाओं को नहीं हो पाती हैं. लेकिन बॉडी पर पड़ रहे निगेटिव इफेक्ट के कारण परेशानी बढ़ने लगती है.
सबसे पहले स्ट्रेस को जानना चाहिए. यह किस वजह से हो रहा है. काम से तनाव हो सकता है. अधिक वजन तनाव का कारक हो सकता है. नौकरी भी टेेंशन की वजह हो सकती है. टाइम मैनेजमेंट और प्रेग्नेेंसी न हो पाना भी स्ट्रेस बढ़ने का एक कारण हो सकते हैं. ऐसे मे सबसे पहले स्ट्रेस के कारणों पर गौर करना जरूरी है.
डॉक्टरों का कहना है कि स्ट्रेस से महिला की बॉडी में चेन रिएक्शन शुरू हो सकती है. इससे बॉडी में कुछ केमिकल पैदा होने लगते हैं, जोकि बढ़ते हुए भू्रण पर निगेटिव प्रभाव डालते हैं. इससे मिसकेरिज होने की संभावना बढ़ जाती है.
साइंटिफिक रिसर्च के आधार पर सामने आया है कि जब मस्तिष्क अधिक स्ट्रेस में होता है तो वह सीआरएच रिलीज करता है. सीआरएच को कॉर्टिकोट्रोपिन रिलीजिंग हार्माेन कहा जाता है. डिलीवरी के समय गर्भाशय के संकुचन को बंद करते समय सीआरएच रिलीज हो सकते हैं. लेकिन यदि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अधिक स्ट्रेस में रहें तो यह क्रोनिक स्ट्रेस के दौरान गर्भाशय में मौजूद सीआरएच हार्माेन मास्ट सेल्स पर हमला कर सकते हैं.
सही डाइट होना बेहद जरूरी है. डाइट सही न होने पर मां और गर्भ पल रहे शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. नाश्ता करना, हरी पत्तेदार सब्जी का खाना, विटामिन सी लेना, पफाइबर का अधिक सेवन और कम कार्ब्स वाली डाइट का सेवन करना शामिल होता है. 7 से आठ घंटे नींद लेनी चाहिए. अकेले रहने की कोशिश कम करें. इससे कई बार बुरे ख्याल आते हैं. पति और पत्नि को प्रेग्नेंसी को लेकर बात करनी चाहिए.
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