अहमदाबाद (एजेंसी/वार्ता): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारी संत परंपराएं केवल संस्कृति, पंथ, नैतिकता और विचारधारा के प्रसार तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि देश के संतों ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को मजबूत करके दुनिया को एक सूत्र में बांधा है।
मोदी बुधवार को यहां स्वामिनारायण संस्थान के संत प्रमुख स्वामी महाराज के शताब्दी महोत्सव के उद्धाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने प्रमुख स्वामी महाराज की जय-जयकार और सभी का स्वागत करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने देवत्व की उपस्थिति और संकल्पों की भव्यता और विरासत के लिए गर्व की भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि परिसर में भारत का हर रंग देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने इस शानदार सम्मेलन के लिए अपनी कल्पना शक्ति को महत्व देने के प्रयासों के लिए प्रत्येक संत को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह भव्य आयोजन न केवल दुनिया को आकर्षित करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित और प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, “इस तरह के और इतने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम के बारे में सोचने के लिए मैं संतों की सराहना करना चाहता हूं।
उन्होंने स्वामी महाराज सहित देश के महान संतों द्वारा स्थापित ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस शताब्दी समारोह में आज वेद से विवेकानंद तक की यात्रा देखी जा सकती है। उन्होंने कहा, “यहां भारत की समृद्ध संत परंपराओं को देखा जा सकता है।
मोदी स्वामी जी के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए उदासीन हो गए। उन्होंने कहा “मैं बचपन से ही स्वामी महाराज जी के आदर्शों के प्रति आकर्षित रहा हूं। शायद 1981 में एक सत्संग के दौरान मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। उन्होंने केवल सेवा की बात की। एक-एक शब्द मेरे हृदय पर अंकित हो गया। उनका संदेश बहुत स्पष्ट था कि किसी के जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य सेवा होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मुख्य जोर समाज के कल्याण पर था। स्वामी महाराज जी एक सुधारवादी थे। वह खास थे क्योंकि उन्होंने हर व्यक्ति में अच्छाई देखी और उन्हें इन खूबियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति की मदद की। मैं मोरबी में मच्छू बांध आपदा के दौरान उनके प्रयासों को कभी नहीं भूल सकता”, उन्होंने कहा कि स्वामी जी सही मायनों में एक समाज सुधारक भी थे।
उन्होंने कहा कि स्वामी जी से मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ मिलता था। वह एक समाज सुधारक थे। उन्होंने हमेशा लोगों के भीतर की अच्छाइयों को प्रोत्साहित किया। वह सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच आदि सभी सामाजिक बुराइयाें को दूर करने में लगे रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी जी का उनके प्रति अगाध स्नेह था, उनके साथ एक अटूट बंधन था। जीवन के कठिन से कठिन समय में उन्हें बुलाते थे या दूरभाष पर बात करते थे। उनके मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान उनका सहज नित्य नाता था। स्वामीनारायण के संस्थान के संत प्रमुखस्वामी महाराज के शताब्दी महोत्सव की शुरुआत 15 दिसंबर को होगी और यह 15 जनवरी तक चलेगा।
मोदी ने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि वह हमेशा ऐसी संत और उन्नत परंपराओं से जुड़े रहे हैं और मुझे प्रमुख स्वामी महाराज और महंत स्वामी महाराज जैसे संतों के आसपास होने का सौभाग्य मिला है, जो एक पुण्य वातावरण बनाते हैं। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राज्यपाल आचार्य देवव्रत, परम पावन महंत स्वामी महाराज और पूज्य ईश्वरचरण स्वामी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
-एजेंसी/वार्ता
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