साहित्य अकादेमी का साहित्योत्सव होगा विश्व का सबसे बड़ा साहित्योत्सव, 1100 से ज़्यादा लेखक और विद्वान लेंगे भाग

देश की राष्ट्रीय साहित्य संस्था साहित्य अकादेमी इस वर्ष 70 वर्ष पूरे कर रही है और इस अवसर को स्मरणीय बनाने के लिए अकादेमी द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला ‘साहित्योत्सव’ इस बार विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। 11 से 16 मार्च 2024 तक रवींद्र भवन परिसर, 35, फ़ीरोज़शाह मार्ग, नई दिल्ल्ली-110001 में मनाए जा रहे इस उत्सव के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि 190 से अधिक सत्रों में 1100 से अधिक प्रसिद्ध लेखक और विद्वान भाग ले रहे हैं। इसमें देश की 175 से अधिक भाषाओं का भी प्रतिनिधित्व होगा। इस साहित्योत्सव में तीन राज्यों के माननीय राज्यपाल – श्री आरिफ़ मोहम्मद खान (केरल), श्री विश्वभूषण हरिचंदन (छत्तीसगढ़), श्री सी.वी. आनंद बोस (पश्चिम बंगाल) विशेष रूप से भाग ले रहे हैं।

190 से अधिक सत्रों में आयोजित इस साहित्योत्सव की शुरुआत अकादेमी की वर्षभर की प्रमुख गतिविधियों की प्रदर्शनी से होगा। साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2023 अर्पण समारोह होगा, जो 12 मार्च को कमानी सभागार में शाम 5ः30 बजे होगा। इस पुरस्कार-अर्पण समारोह की मुख्य अतिथि प्रख्यात ओड़िआ लेखिका प्रतिभा राय होंगी। प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान प्रख्यात उर्दू लेखक एवं गीतकार गुलज़ार द्वारा 13 मार्च को सायं 6.30 बजे मेघदूत मुक्ताकाशी मंच पर होगा। 11 मार्च को साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्यों का अभिनंदन भी किया जाएगा।

बहुभाषी कवि और कहानी-पाठ, युवा साहिती, अस्मिता, पूर्वोत्तरी, जैसे नियमित कार्यक्रमों के अलावा भारत का भक्ति साहित्य, भारत में बाल साहित्य, भारत की अवधारणा, मातृभाषाओं का महत्त्व, आदिवासी कवि एवं लेखक सम्मिलन, भविष्य के उपन्यास, भारत में नाट्य लेखन, भारत की सांस्कृतिक विरासत, भारतीयों भाषाओं में विज्ञान कथा साहित्य, नैतिकता और साहित्य, भारतीय साहित्य में आत्मकथाएँ, साहित्य और सामाजिक आंदोलन, विदेशों में भारतीय साहित्य जैसे अनेक विषयों पर परिचर्चा और परिसंवाद होंगे।

इस बार की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय है – स्वातंत्र्योत्तर भारतीय साहित्य। इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय दिव्यांग लेखक सम्मेलन, एलजीबीटीक्यू लेखक सम्मिलन, मीर तक़ी मीर की जन्म-त्रिशतवार्षिकी पर संगोष्ठी, गोपीचंद नारंग पर एक परिसंवाद जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिताएँ साहित्यिक प्रश्नोत्तरी और कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली एवं एन.सी.आर. के 1000 से अधिक बच्चों के भाग लेने की उम्मीद है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत राजश्री वारियर द्वारा भरतनाट्यम, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम ‘कस्तूरी’, महेशाराम द्वारा संतवाणी गायन एवं दयाप्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित नाटक ‘सम्राट अशोक’ का मंचन भी किया जाएगा।

छह दिन तक चलने वाले इस साहित्योत्सव में भाग ले रहे हिंदी एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं के कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक एवं विद्वान हैं-एस.एल. भैरप्पा, चंद्रशेखर कंबार, पॉल ज़कारिया, आबिद सुरती, के. सच्चिदानंदन, चित्रा मुद्गल, मृदुला गर्ग, के. इनोक, ममंग दई, एच.एस. शिवप्रकाश, सचिन केतकर, नमिता गोखले, कुल सैकिया, वाई.डी. थोंगची, मालाश्री लाल, कपिल कपूर, अरुंधति सुब्रह्मण्यम, रख़्शंदा जलील, राणा नायर, वर्षा दास, सुधा शेषाय्यन, उदय नारायण सिंह, अरुण खोपकर, शीन काफ़ निज़ाम आदि।