धार्मिक विश्वास और प्रथाएं विपरीत परिस्थितियों में शक्ति देती हैं : द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज कहा कि धार्मिक विश्वास और प्रथाएं विपरीत परिस्थितियों में राहत, आशा और शक्ति प्रदान करती हैं। श्रीमती मुर्मु ने बुधवार को यहां राष्ट्रपति भवन में एक अंतरधार्मिक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म जीवन में महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक विश्वास और प्रथाएं हमें विपरीत परिस्थितियों में राहत, आशा और शक्ति प्रदान करती हैं। प्रार्थना और ध्यान मनुष्यों को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव प्रदान करने में मदद करते हैं। लेकिन शांति, प्रेम, पवित्रता और सत्य जैसे मौलिक आध्यात्मिक मूल्य हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं।

इन मूल्यों से रहित धार्मिक प्रथाएं हमें लाभान्वित नहीं कर सकतीं।” उन्होंने कहा कि समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, सहिष्णुता, परस्पर सम्मान और सद्भाव के महत्व को समझना आवश्यक है। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्रत्येक मानव आत्मा स्नेह और सम्मान की हकदार है। आत्मबोध का भाव, मूल आध्यात्मिक गुणों के अनुसार जीवन-यापन करना और परमात्मा के साथ आध्यात्मिक संबंध रखना ही सांप्रदायिक सद्भाव और भावनात्मक एकीकरण का सहज साधन है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रेम और करुणा के बिना मानवता का अस्तित्व नहीं है। जब विभिन्न धर्मों के लोग सद्भाव से एक साथ रहते हैं, तो समाज और देश का सामाजिक ताना-बाना सुदृढ़ होता है। यही शक्ति देश की एकता को और मजबूत करती है तथा उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर करती है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में स्थापित करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी का सहयोग आवश्यक होगा।

– एजेंसी