बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर के बेटे होने के बावजूद, रणबीर कपूर का सफर कभी आसान नहीं रहा। आज भले ही उन्हें एक सुपरस्टार के तौर पर जाना जाता है, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत मेहनत की है। उनका यह सफर कैमरे के पीछे से शुरू हुआ, जहां उन्होंने एक असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया, वो भी बिना किसी स्टारडम के अहंकार के।
🎥 जब रणबीर कपूर लगाते थे पोंछा और खाते थे गालियां
रणबीर ने अपने करियर की शुरुआत 2005 में फिल्म ‘ब्लैक’ के सेट से की थी, जिसमें उन्होंने डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को असिस्ट किया था। उस समय वो 21 घंटे तक काम करते थे। एक इंटरव्यू में रणबीर ने बताया:
“मैं सेट पर पोंछा लगाता था, लाइट्स फिक्स करता था, और गालियां भी सुनता था। लेकिन हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता था।”
ये बयान दर्शाता है कि उन्होंने स्टार किड होने का फायदा उठाने की बजाय, मेहनत से रास्ता बनाया।
🎬 फ्लॉप डेब्यू, लेकिन छा गए रणबीर
रणबीर ने 2007 में ‘सावरिया’ से अपना फिल्मी डेब्यू किया, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। इस फिल्म में सोनम कपूर उनके साथ थीं। हालांकि फिल्म चली नहीं, पर रणबीर की परफॉर्मेंस को खूब सराहा गया और उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड भी मिला।
🌟 ‘वेक अप सिड’ ने बदली किस्मत
‘सावरिया’ और ‘बचना ऐ हसीनों’ जैसी फिल्मों के बाद 2009 की ‘वेक अप सिड’ रणबीर की जिंदगी में टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं —
‘रॉकस्टार’ (2011)
‘अजब प्रेम की गजब कहानी’
‘राजनीति’
‘बर्फी’
‘ये जवानी है दीवानी’
‘संजू’
‘ब्रह्मास्त्र’
और हाल ही में ‘एनिमल’, जिसने उन्हें फिर से सुपरस्टार की लिस्ट में टॉप पर ला खड़ा किया।
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