चंपाई सोरेन की काट के लिए रामदास सोरेन ने ली मंत्री पद की शपथ

झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल है. दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को अलविदा कह दिया है. वे आज बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. ऐसे में हेमंत सोरेन की पार्टी JMM के सामने संकटों का पहाड़ खड़ा हो गया है. एक तरफ दिग्गज नेता के साथ छोड़ने से गहरा झटका लगा है तो दूसरी तरफ कोल्हान जैसे बड़े आदिवासी बेल्ट में ऑल इज वेल का संदेश पहुंचाने की चुनौती है. फिलहाल, JMM ने काट ढूढ ली है और घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन को आगे करने की तैयारी कर ली है.

रामदास सोरेन ने आज सुबह 11 बजे राजभवन में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले ली है. उन्होंने हेमंत कैबिनेट में चंपाई सोरेन की जगह ली है. वे मंत्रिमंडल में 12वें मंत्री हो गए हैं. चंपाई के इस्तीफे के बाद कैबिनेट मंत्री का पद खाली हो गया था. गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आने के बाद रामदास सोरेन रांची पहुंचे और पार्टी नेताओं से मुलाकात की. रामदास को चंपाई सोरेन का करीबी माना जाता है. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत ने रामदास को मंत्री बनाकर ना सिर्फ बगावत थामने के लिए बड़ा कदम उठाया है, बल्कि संथाल आदिवासी समाज को भी साधने की कोशिश की है.

हेमंत ने संथाल समाज को साधने के लिए चला दांव

जानकारों का कहना है कि हेमंत सोरेन का पूरा फोकस कोल्हान इलाके में संगठन का दबदबा बनाए रखने पर है. हेमंत जानते हैं कि कोल्हान में चंपाई का प्रभाव है और संथाल समाज से आते हैं. वे 44 साल के करियर में पार्टी कार्यकर्ता से लेकर सीएम पद तक पहुंचे. यही वजह है कि हेमंत ने चंपाई की बगावत से लेकर ब्रेकअप पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है और चुप्पी साधे हुए हैं. चंपाई पुराने और मंझे हुए नेता हैं. ऐसे में हेमंत, चंपाई की अगली रणनीति को समझने की कोशिश में लगे हैं. माना जा रहा है कि चंपाई की बगावत से कोल्हान में JMM को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंच सकता है. इसलिए हेमंत ने संथाल समाज से आने वाले रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का दांव खेला है.

JMM में चंपाई के तोड़ के रूप में देखे जा रहे रामदास

जानकार यह भी कहते हैं कि JMM ने डैमेज कंट्रोल की भी फुल प्रूफ तैयारी कर ली है. रामदास सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाकर ना सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले को महत्व दिया है, बल्कि कोल्हान इलाके को साधने के प्लान पर भी काम शुरू कर दिया है. इसे चंपाई के तोड़ के रूप में देखा जा रहा है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद रामदास को वो सभी विभाग दिए जाएंगे, जो अब तक चंपाई के पास थे. पार्टी रामदास को कोल्हान में अपना वोट बैंक मजबूत करने का काम सौंपेगी. हालांकि, इस प्लान से JMM को कितना फायदा या नुकसान होगा, ये तो चुनावी नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो सकेगा.

चंपाई का कोल्हान में खासा प्रभाव

दरअसल, रामदास सोरेन घाटशिला से विधायक हैं. ये विधानसभा पूर्वी सिंहभूम जिले में आती है. कोल्हान मंडल में तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं. इन तीनों जिलों में 14 विधानसभा सीटें हैं और चम्पाई सोरेन का खासा प्रभाव है. इस इलाके में अभी JMM के पास ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं है, जो चंपाई का विकल्प बन सके. चंपाई की संगठनात्मक क्षमता का झारखंड मुक्ति मोर्चा को हमेशा फायदा मिलता रहा है. 2020 के चुनाव में JMM ने कोल्हान इलाके की 14 में से 11 सीटें जीतीं थीं. दो सीटें अलायंस में सहयोगी कांग्रेस को मिली थीं. एक सीट पर निर्दलीय सरयू राय का कब्जा रहा था. बीजेपी के हाथ खाली रहे थे. यहां तक कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास को हार का सामना करना पड़ा था.

यही वजह है कि बीजेपी को कोल्हान इलाके में मजबूत आदिवासी नेता की तलाश रही है. अब चंपाई के जरिए बीजेपी ना सिर्फ 14 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है, बल्कि जीत का सिलसिला भी शुरू कर सकती है. चंपाई इससे पहले NDA सरकार का हिस्सा भी रहे हैं. वे सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक NDA सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. 2019 में परिवहन और पिछड़ा कल्याण मंत्री भी रहे हैं. गुरुवार को राजभवन ने चंपई सोरेन का मंत्री पद का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.

कौन हैं रामदास सोरेन?

रामदास सोरेन संथाल समुदाय से आते हैं. वे पूर्वी सिंहभूम में JMM के जिला अध्यक्ष भी हैं. वे अलग राज्य के आंदोलन का हिस्सा भी रहे हैं और कई बार जेल भी गए हैं. रामदास सोरेन ने 2005 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप कुमार बलमुचू से चुनाव हार गए. उसके बाद 2009 में JMM के टिकट पर घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 1,192 वोटों से जीत हासिल की. उन्होंने इस चुनाव में प्रदीप कुमार बलमुचू को हराया था. हालांकि, 2014 के चुनाव में रामदास को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें बीजेपी के लक्ष्मण टुडू ने 6,403 वोटों से हरा दिया. 2020 के चुनाव में रामदास ने हार का बदला लिया और लक्ष्मण टुडू को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. राज्य में JMM की सरकार बनी, लेकिन रामदास को कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी. क्योंकि कोल्हान इलाके से चंपाई बड़े नेता माने जाते हैं और उन्हें हेम