देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई। इसके अलावा बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव में मजबूती देखी गई।
बाजार सूत्रों ने बताया कि मूंगफली में गिरावट का कारण सस्ते आयातित खाद्यतेलों के मुकाबले मूंगफली तेल तिलहन का भाव लगभग दोगुना होना है जिसकी वजह से लिवाली प्रभावित हुई है। दूसरी ओर विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम तेल के दाम में समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार हुआ है जिसका सकारात्मक असर बाकी तेल तिलहनों पर हुआ।
उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन डीगम तेल का दाम अपने विगत सप्ताह के 995-1,000 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,085-1,090 डॉलर प्रति टन हो गया। इससे बाकी तेल तिलहनों में भी मजबूती आई।
देश की मंडियों में पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन की आवक कम हो रही है। महाराष्ट्र की लातूर मंडी में यह आवक पिछले साल इन दिनों में लगभग एक लाख कट्टे (बोरी) की आवक के मुकाबले घटकर 40-50-60 हजार कट्टे की रह गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले साल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी अधिक दाम मिले थे। इस बार दाम एमएसपी से मामूली अधिक है और ऐसे में अच्छे दाम का स्वाद ले चुके किसान अपनी आवक घटा दी हैं। केवल पैसों की मजबूरी वाले किसान ही जरूरत के लिए अपनी ऊपज को बेच रहे हैं।
दूसरी ओर विदेशों में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम बढ़ रहे हैं। सोयाबीन तिलहन से 82 प्रतिशत के करीब डीओसी मिलता है और इसमें लगभग 18 प्रतिशत ही खाद्यतेल निकलता है। डीओसी का जितना दाम विदेशों में बढ़ा है, उतना असर यहां देखने को नहीं मिला।
सूत्रों ने बताया कि बंदरगाहों पर देश के आयातक, आयातित सोयाबीन डीगम तेल, आयात की लागत से 2.5-3 रुपये प्रति किलोग्राम की कम कीमत पर इस तेल को बेच रहे हैं। इससे अंतत: आयात ही प्रभावित होगा और बैंकों से लिया गया कर्ज डूबने का खतरा पैदा होगा। इससे आयातकों की आर्थिक स्थिति का भी अंदाजा मिलता है कि वे आयात किये गये तेल का भंडार रखने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसा उस देश में हो रहा है जो अपनी खाद्यतेल जरुरतों को पूरा करने के लिए लगभग 55 प्रतिशत आयात पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में मूंगफली एमएसपी से नीचे दाम पर बिक रहा है। ऐसी खबर है कि सरकार की ओर से कोई संस्था द्वारा दीवाली के बाद किसानों की मूंगफली खरीद की जायेगी, लेकिन तब तक काफी ऊपज का औने पौने दाम में निपटारा हो चुका होगा। किसानों से एमएसपी से कम दाम पर खरीद करने के बावजूद मूंगफली पेराई मिलों को पेराई के बाद सस्ते आयातित तेलों के आगे अपने मूंगफली तेल को खपाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि खुदरा बाजार में यह देखने की जरुरत है कि मूंगफली और मूंगफली तेल ग्राहकों को क्या भाव मिल रहा है। अगर ये भाव काफी अधिक हैं तो इसका फायदा किसानों को क्यों नहीं मिल रहा, यह सोचनीय है।
सूत्रों ने कहा कि अधिकांश तेल मिलें, तेल खली के कट्टे पर उसका अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) नहीं लिखतीं जिसे सख्ती से लागू करवाने की ओर ध्यान देने की जरुरत है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये बढ़कर 5,725-5,775 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 200 रुपये बढ़कर 10,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 25-25 रुपये का लाभ दर्शाता क्रमश: 1,810-1,905 रुपये और 1,810-1,920 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 185-185 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,270-5,370 रुपये प्रति क्विंटल और 5,070-5,170 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 350 रुपये, 405 रुपये और 355 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 10,400 रुपये और 10,300 रुपये और 8,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 150 रुपये, 200 रुपये और 50 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 6,550-6,625 रुपये क्विंटल, 15,000 रुपये क्विंटल और 2,225-2,510 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 200 रुपये के सुधार के साथ 7,925 रुपये, पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये सुधरकर 9,200 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 275 रुपये के सुधार के साथ 8,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 125 रुपये के सुधार के साथ 8,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
– एजेंसी