चीन बनाम अमेरिका की लड़ाई का शिकार बना पाकिस्तान

भारत के आखिरी छोर तक मिसाइल दागने की सनक लिए बैठे पाकिस्‍तान को अमेरिका ने बड़ा झटका दिया है। अमेरिका ने चीन की कंपन‍ियों के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं जो पाकिस्‍तान के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी हुई थीं। अमेरिका ने मिसाइल तकनीक के अप्रसार के अभियान के तहत यह कदम उठाया है। अमेरिका ने एक बयान जारी करके कहा है कि वह चीनी शोध संस्‍थान पर प्रतिबंध लगा रहा है। इस संस्‍थान पर आरोप है कि वह पाकिस्‍तान के मिसाइल कार्यक्रम को उपकरणों की सप्‍लाई कर रहा है। बताया जा रहा है कि चीनी संस्‍थान पाकिस्‍तान के शाहीन-3 मिसाइल, अबाबील सिस्‍टम और संभावित लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल के लिए रॉकेट मोटर टेस्टिंग के उपकरण मुहैया करा रहा था। पाकिस्‍तान का दावा है कि शाहीन मिसाइल की रेंज 2750 किमी है और यह भारत के किसी भी शहर को परमाणु बम या परंपरागत विस्‍फोटक से निशाना बना सकती है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता मैथ्‍यू मिलर ने कहा कि पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रीय विकास परिसर और बीजिंग के आटोमेशन फॉर मशीन बिल्डिंग शोध संस्‍थान के बीच यह सहयोग चल रहा था। शाहीन-3 एक दो स्‍टेज वाली मिडियम रेंज की बलिस्टिक मिसाइल है जो ठोस ईंधन से चलती है। यह पाकिस्‍तान के हथियारों के जखीरे में सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है। वहीं दूसरी ओर अबाबील मिसाइल 2200 किमी तक मार कर सकती है और इसमें तीन चरण हैं। अमेरिका ने मिसाइल तकनीक सीमा के तहत चीन और पाकिस्‍तान की कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने कहा कि यह कदम दिखाता है कि वह हथियारों का प्रसार करने वाले किसी भी देश या कंपनी को निशाना बनाएगा।

पोल खुली तो बौखलाया चीन

अमेरिका के इस कदम का चीन ने कड़ा विरोध किया है। वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने कहा कि चीन इन एकतरफा प्रतिबंधों का कड़ा विरोध करता है। चीन अपनी कंपनियों और लोगों की पूरी तरह से रक्षा करेगा। अभी कुछ समय पहले ही अमेरिका ने पाकिस्‍तान के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी चीनी और बेलारूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका ने कहा कि इन कंपनियों ने पाकिस्‍तान की लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के लिए उपकरणों की सप्‍लाई की। इससे पाकिस्‍तान बौखला गया था और उसने कहा था कि यह राजनीति से प्रेरित है।

पाकिस्‍तान ने मिसाइल तकनीक कंट्रोल रिजीम का हिस्‍सा नहीं है। वहीं भारत ने इस संधि पर हस्‍ताक्षर किया हुआ है। इस संधि का उद्देश्‍य महाविनाश के हथियारों का प्रसार रोकना है। पाकिस्‍तान के मिसाइल कार्यकम को चीन का खुलकर समर्थन मिल रहा है। इसी वजह से पाकिस्‍तान न केवल तेजी से बल्कि सटीकता के साथ मिसाइलों का निर्माण कर रहा है। पाकिस्‍तान को अपने मिसाइल कार्यक्रम में उत्‍तर कोरिया की भी मदद मिली है। शाहीन-3 के जरिए पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना चाहता है।

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