बुजुर्गों से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों की सरकार से बजट में अधिक समावेशी उपायों की मांग

आयुष्मान भारत योजना में सभी बुजुर्गों को जोड़ने से लेकर ऑनलाइन परामर्श सेवाओं तक, बुजुर्गों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों ने सरकार से आगामी बजट में और अधिक समावेशी उपायों की मांग की है।

आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा।

बजट से पहले हेल्पएज इंडिया और एजवेल फाउंडेशन ने अधिक समावेशी बजट की मांग की जो बुजुर्गों के कल्याण को ध्यान में रखे।

एजवेल फाउंडेशन 87,500 से अधिक स्वयंसेवकों के साथ बुजुर्गों की सहायता के लिए काम करता है।

एजवेल फाउंडेशन ने आगामी बजट के लिए अपनी अपेक्षाओं को रेखांकित करते हुए सिफारिशों की एक विस्तृत सूची पेश की। इसमें गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वाले परिवारों के बुजुर्गों के लिए मासिक न्यूट्री (पोषक) किट, स्थानीय स्तर पर समर्पित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं तथा बुजुर्गों के समक्ष पेश होने वाले विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए ऑनलाइन परामर्श सेवाएं शामिल हैं।

हेल्पएज इंडिया से जुड़ी अनुपमा दत्ता ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) जैसी योजनाओं में हुई प्रगति को रेखांकित किया लेकिन साथ ही इनके अधिक समावेशी होने की जरूरत पर जोर दिया।

दत्ता ने कहा, ‘‘सरकार पीएमजेएवाई के दायरे में आयकरदाताओं को छोड़कर सभी बुजुर्गों खासतौर पर महिलाओं, बेहद उम्रदराज लोगों तथा दिव्यांगों को शामिल करने पर विचार कर सकती है।’’

उन्होंने सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को समायोजित करने के लिए खासतौर पर बाह्य रोगी उपचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) के विस्तार की भी वकालत की।

इसके अलावा दत्ता ने कहा, ‘‘महिलाओं खासकर से बुजुर्ग महिलाओं जो घर का काम संभालती हैं और सभी का अधिकतर ध्यान वहीं रखती हैं…. उनके लिए देखभालकर्ता भत्ता सम्मान, स्वतंत्रता तथा आत्म-संतुष्टि सुनिश्चित करेगा।’’

– एजेंसी