नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने भाईचारे और सहिष्णुता की जरूरत पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि भारतीय समाज को ‘जन्नत’ जैसा बनाने के लिये लोगों को यही सिद्धांत अपनाने होंगे। डॉ हर्षवर्धन ने अल हिकमाह फाउंडेशन की 30वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, “अल-हिकमाह फाउंडेशन ने पिछले तीन दशकों में आपसी भाईचारे, सहिष्णुता और लोक कल्याण का जो रास्ता अपनाया है, यदि उसकी सराहना न की जाये तो यह बहुत बड़ा कदाचार होगा। आज हम में से प्रत्येक को यही सिद्धांत अपनाने होंगे ताकि हमारे घर और समाज जन्नत का स्वरूप बनें।”
डॉ हर्षवर्धन ने उच्च नैतिक मूल्यों पर जोर देते हुए लोगों से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक शुद्धि पर विशेष ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि ईमानदारी, करुणा, संवेदनशीलता, एक दूसरे के लिये प्रेम और सम्मान हमारी संस्कृति की आत्मा है जिसके माध्यम से हम जीवन में बड़ी से बड़ी ऊंचाइयां हासिल कर सकते हैं।“सामाजिक विकास में जन भागीदारी” विषय पर आयोजित वार्षिक सम्मेलन में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने सबसे पहले फाउंडेशन के प्रदर्शन की सराहना की और दर्शकों से फाउंडेशन के कार्य को हर स्तर पर पहुंचाने में सहयोग करने की अपील की।
लालपुरा ने कहा कि हमारा सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब हमारे बीच सद्भावना एवं भाईचारा बढ़ता रहे और नफरत का माहौल कम हो। उन्होंने कहा कि समाज को स्वर्ग जैसा बनाने के लिये सबसे पहले हमें खुद को कुर्बान करना होगा, अपनी मर्जी के खिलाफ फैसले लेने होंगे और सबसे प्यार करने और सबके बीच प्यार बांटने का माहौल बनाना होगा। अलहिकमाह फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जियाउद्दीन अहमद नदवी ने फाउंडेशन के लक्ष्यों, उद्देश्यों और पिछले 30 वर्षों के दौरान सामने आई चुनौतियों और उतार-चढ़ाव पर प्रकाश डाला।
नदवी ने कहा कि उनका लक्ष्य अनपढ़ लोगों के बीच शिक्षा का प्रसार करना और युवाओं को सही रास्ता दिखाना है। उन्होंने वहां उपस्थित श्रोताओं से उनके इस मिशन में जुड़ने की अपील की ताकि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर समाज को आगे ले जाने की भावना को जगाया जा सके। आम सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने शिक्षा, स्वास्थ्य और लोक कल्याण के क्षेत्र में ‘अलहिकमाह फाउंडेशन’ के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज समाज को अपनी बुराइयों से लड़ने के लिये नैतिकता की जरूरत है।
-एजेंसी/वार्ता
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