नंदू: यार, मेरी पत्नी हमेशा साड़ियों की ही फरमाइश करती रहती है।
कल ही एक साड़ी लाने को कह रही थी।
आज सुबह फिर एक साड़ी मांग रही थी
बंता: अजीब बात है। इतनी साड़ियों का क्या करती है?
नंदू: पता नहीं। मैंने कभी साड़ी लाकर तो दी नहीं।😜😂😂😂😛🤣
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नंदू बंता यार, तूने तो कहा था कि यहां घुटने-घुटने तक पानी है, लेकिन मैं तो डूबने वाला था।
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बंताः बात यह है कि मैंने सुबह बतखों को इस पानी से गुजरते हुए देखा था। उनके तो घुटने-घुटने तक ही पानी था।😜😂😂😂😛🤣