मोदी सरकार चीन से जुड़ी सीमा मामले पर बैठी है आंखे मूंदकर-पवन खेड़ा

दौसा (एजेंसी/वार्ता): कांग्रेस पार्टी के मीडिया एवं प्रचार के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने केन्द्र की मोदी सरकार पर चीन से जुड़ी देश की सीमा मामले में आंखे मूंदकर बैठे रहने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह चाहती है कि मीडिया और विपक्ष भी आंख मूंदकर बैठ जाये। खेड़ा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोपहर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यहां के लोग जानते हैं कि आज किस तरह के ख़तरे मंडरा रहे हैं। हम जब भारत को जोड़ने की बात करते हैं तो हमारी सीमाओं पर भी कुछ ख़तरे मंडरा रहे हैं‌। हमारी चीन से जुड़ी जो सीमाएं हैं, विशेष रूप से अब अरुणाचल में जो हो रहा है, उस पर सरकार खुद आंख मूंदकर बैठी है और वह चाहती है कि मीडिया और विपक्ष भी आंख मूंद कर बैठ जाए।

उन्होंने कहा कि कल संसद में सभी विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर वॉकआउट किया क्योंकि विपक्षी दल चाहते हैं कि हम अपनी आंख खुली रखें, मीडिया भी अपनी आंखें खुली रखे। सरकार संसद में चीन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती। प्रधानमंत्री अपना मुंह बंद रखते हैं और जब उनका मुंह खुलता है तब चीन को क्लीन चिट दे देते हैं। 20 जून 2020 को उन्होंने जो क्लीनचिट दी, उसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं।क्योंकि चीन समझ गया है कि हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री अपनी छवि से ऊंचा किसी चीज़ को नहीं मानता है। भारत की सीमाओं की सुरक्षा को भी वह अपनी छवि से नीचे मानते हैं।

उन्होंने राजस्थान से संबंधित एक उदाहरण देते हुए कहा कि 1962 में जब हिंदुस्तान और चीन के बीच जंग हो रहा था तब 36 वर्षीय नौजवान सांसद थे अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्होंने जंग के बीच संसद का सत्र बुलाने की मांग की। पंडित जवाहर लाल नेहरू चाहते तो उन्हें चीन का एजेंट बता सकते थे लेकिन उन्होंने उनकी मांग को स्वीकारा। तब पाली से अभिषेक मनु सिंघवी के पिता निर्दलीय सांसद हुआ करते थे।

उन्होंने सुझाव दिया था कि इस सत्र में जो चर्चा हो, वह कॉन्फिडेंशियल होनी चाहिए। अख़बारों में नहीं छपना चाहिए, मीडिया में नहीं आना चाहिए। पंडित नेहरू ने इससे इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है। देश के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि संसद में इस पर क्या चर्चा हुई, सांसद इस पर क्या बोलते हैं और सरकार की क्या राय है। खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इससे सीख लेनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि जब राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे होते हैं, सीमाओं की सुरक्षा का सवाल होता है, तो देश जानना चाहता है कि हमारी सीमाओं पर क्या हो रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारी सेना मजबूत है, शौर्यवान है, इस पर किसी को शक नहीं होना चाहिए। राजस्थान से भी कई नौजवान सेना में जाते हैं। कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हैं। हमारे सैनिक चीन को खदेड़ना चाह रहे हैं लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है। प्रधानमंत्री चीन को क्लीनचिट दे रहे हैं। ऐसे में सीमाएं कैसे सुरक्षित रह सकती हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कुछ साल पहले पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि व्यापार और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकता। लेकिन वह सिर्फ़ पाकिस्तान के लिए था। चीन के साथ घुसपैठ और व्यापार दोनों चल रहा है। चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। चीनी कंपनियों का दखल बढ़ रहा है। पहले लद्दाख और अब अरुणाचल में चीन की सेना ने हमारी सीमा को पार किया लेकिन प्रधानमंत्री चुप है। 20 जून 2020 को प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया था उसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं।

-एजेंसी/वार्ता

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