मिस छुईमुई के तार कोई लफंगा ‘जरा जमकर छेड गया था। उन्होंने झनझनाते हुए थाने में जाकर शिकायत की। कर्र्तव्यपरायण
पुलिस ने दस-बारह गुंडों को संदेह में गिरफ्तार कर मिस छुईमुई को बुला भेजा।
लाइन से गुंडे खड़े थे और मिस छुईमुई को उस रोज वाला शख्स पहचानना था। वे एक-एक के पास से गुजरती गईं- ‘ऊँहँ ! यह
नहीं था। ना, यह भी नहीं था। नहीं, यह चूहा तो हो ही नहीं सकता।
आखिर सातवें नम्बर पर खड़े एक गठीले-गबरू नौजवान के पास मिस छुईमुई रुक गईं और ऑंखों में खुमार और देह में मस्ती भरकर
इंस्पेक्टर से बोलीं ‘यह था तो नहीं ! मगर यह ….. हो सकता था….!😜😂😂😂😛🤣
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सैनिक विद्यार्थी लंच के लिए लाइन में लगे थे। चलते-चलते उन्होंने देखा एक टोकरी में ढेर सारे लाल सेब रखे हैं।
मगर वहाँ तख्ती लगी है ‘केवल एक-एक सेब उठाएँ, इससे ज्यादा नहीं। क्योंकि भगवान सबको देख रहा है। एक-
एक सेब फल लेकर जब सब आगे चले तो एक बड़ी सी तश्तरी में खूब सारे बिस्किट रखे देखे। वहां भी तख्ती रखी
थी। लिखा था- ‘जितने चाहिए, बिस्किट ले लो। डरो मत भगवान तो उधर सेबों की निगरानी कर रहा है।😜😂😂😂😛🤣
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बस में भीडभाड थी।
धक्का-मुक्की से तंग आकर एक युवती ने अपनी खीझ पाँच बच्चों वाली एक बुजुर्ग महिला पर निकाली-
‘ओ चाची! अपनी चिल्लर को ठीक से क्यों नहीं सँभालतीं ?
बड़ी महिला ने शांति से कहा-
‘सँभाल लूँगी भतीजी! पर….हाँ, लगता है, अभी तुमने अपना रुपया नहीं तुड़वाया! क्यों ?😜😂😂😂😛🤣