देश की बात करें तो चाय अनेको प्रकार की होती है. और अगर दुनिया को जोड़ लें तो चाय के प्रकार की शायद गिनती ही मुश्किल हो जाए. लेकिन डेली लाइफ में हम भारतीयों के लिए चाय के सिर्फ दो रूप होते हैं. एक दूध वाली चाय और एक बिना दूध की चाय. जो दूध वाली चाय होती है, उसमें हम हरी इलायची, दालचीनी, अदरक, तुलसी पत्ती, लौंग जैसी हर्ब्स डालकर फ्लेवर बदलते रहते हैं. बाकी जो बिना दूध की चाय होती है, उसमें ब्लैक-टी से लेकर जमाने भर की हर्बल-टी शामिल हैं.
सही चाय पीने से निश्चित तौर पर ब्लड प्रेशर को मेंटेन रखे में लाभ होता है. सही चाय से अर्थ है कि चाय चुनने से पहले ये देखना जरूरी होता है कि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है या बीपी लो रहने की समस्या है. क्योंकि दोनों ब्लड प्रेशर में अलग तरह की चाय लाभ पहुंचाती है. जबकि गलत समय पर गलत चाय पीने से स्थिति और गंभीर भी हो सकती है.
ब्लड प्रेशर अगर हाई रहता है तो आपको बिना दूध की चाय पीनी चाहिए क्योंकि दूध वाली चाय, जो कि लगभग हर भारतीय घर में यूज होती है, उसे पीने से बीपी बढ़ सकता है. हाई बीपी में आप सिर्फ हर्बल-टी पिएं. जैसे…
गुड़हल के फूल से बनी चाय
ग्रीन-टी, जीरा-टी
जीरा-धनिया और सौंफ (CCF Tea) से तैयार चाय
सौंफ और हरी इलाचयी से बनी चाय.
ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लैक-टी और अन्य हर्ब्स से तैयार हर्बल-टी में ऐंटिऑक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में होते हैं. ये हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. जिससे ब्लड प्रेशर खुद ही कम होने लगता है.
लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आप दूध पीना बंद कर दें. क्योंकि दूध को जब चाय पत्ती, चीनी और अन्य हर्ब्स के साथ मिलाते हैं तो इसके गुणों में परिवर्तन हो जाता है.
यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है तो आपको दूध वाली चाय का सेवन करना चाहिए. सर्दी के मौसम में खासतौर पर तुलसी पत्ती और अदरक डालकर. जबकि गर्मी में हरी इलायची और लौंग डालकर.
दूध से तैयार चाय पीने से कोलेस्ट्रोल और सैचुरेटेड फैट में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे आर्टरीज का संकुचन होता है और ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद मिलती है. बोलचाल की भाषा में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब लूज पड़ी नसों में कसावट आ जाएगी तो ब्लड अपने आप ही तेजी से बहने लगेगा, जिससे बीपी कम होने की समस्या दूर करने में मदद मिलेगी.
चाय और ब्लड प्रेशर से जुड़ी ऊपर जितनी भी बातें बताई कई हैं, ये ज्यादातर लोगों पर फिट बैठती हैं. लेकिन सभी के साथ ऐसा हो ऐसा बिल्कुल नहीं है. क्योंकि दवाओं की तरह ही खान-पान से जुड़ी चीजों का भी हर किसी के शरीर पर अलग-अलग असर होता है. हर चीज को लेकर सभी की बॉडी एक जैसा रिऐक्शन दे, ये जरूरी नहीं.
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