तांबे के बर्तन में पानी पीने का इतिहास बहुत पुराना है, जो वर्षों से चला आ रहा है. आपने अपने बड़े-बुजुर्गों को तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करते हुए शायद जरूर देखा होगा. काफी लोग तांबे के बर्तन में पानी को स्टोर करके रखना और उसे पीना पसंद करते हैं. पहले के समय में अधिकतर लोग तांबे या पीतल के कमंडल में पानी पीते थे और कहा करते थे कि इन बर्तनों में पानी पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. तांबे में जल पीने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है. मगर इस परंपरा से जुड़ी बातों और स्वास्थ्य लाभों में कितनी सच्चाई है?
दरअसल, तांबे के कंटेनर में पानी को स्टोर करके रखने और उसे पीने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. हेल्थलाइन के मुताबिक, कॉपर एक जरूरी पोषक तत्व है और शरीर के अलग-अलग कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कॉपर मस्तिष्क और दिल के स्वास्थ्य में सुधार लाने का काम करता है. इसमें जीवाणुरोधी तत्व भी होते हैं.
कॉपर डाइजेशन सिस्टम में सुधार लाने में भी काफी मदद करता है और कब्ज और एसिडिटी को रोकता है. कॉपर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. यही वजह है कि ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का भी काम करता है. तांबे के बर्तन में रखे गए पानी में एल्कलाइन होता है, इसलिए इस पीने को पीने से शरीर को ठंडक भी मिलती है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों के मुताबिक, तांबे के कमंडल में पानी पीने से शरीर के तीन दोष वात, पित्त और कफ ठीक हो जाते हैं. भोजन खाने और पचाने से टॉक्सिन्स निकलते हैं और बॉडी में हीट पैदा होती है.
तांबे के पानी को तो वैसे पूरे दिन कभी-भी पिया जा सकता है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल सुबह के समय खाली पेट किया जाए तो यह शरीर को काफी फायदा पहुंचाता है. हालांकि यहां याद रखने वाली चीज ये भी है कि कॉपर एक ट्रेस मिनरल है, जिसकी शरीर को कम मात्रा में जरूरत होती है. इसलिए ध्यान रखें कि इसका बहुत अधिक सेवन करने की जरूरत नहीं है, इससे कॉपर टॉक्सिसिटी हो सकती है.
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