जन्म के बाद से लेकर 6 महीने तक बच्चों को सिर्फ मां का दूध ही पिलाने की सलाह दी जाती है. क्योंकि मां के दूध में एंजाइम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बच्चे के विकास में मदद करते हैं और उन्हें कई बीमारियों से बचाते हैं. मां के दूध को बहुत पौष्टिक माना जाता है. इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है. हालांकि आजकल के खराब लाइफस्टाइल की वजह से ज्यादातर महिलाओं के स्तनों में या तो दूध नहीं बनता या बहुत कम बनता है.
हालांकि एक फूड आइटम है, जो स्तनों में दूध की मात्रा में इजाफा कर सकता है. वो और कोई नहीं, बल्कि ओट्स है, जिसमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. ओट्स ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा बढ़ाने में आपकी काफी मदद कर सकते हैं. ओट्स में मौजूद कई जरूरी पोषक तत्व शरीर के ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में हेल्प करते हैं. इसमें मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और मेलाटोनिन ट्रिप्टोफैन की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं, जिससे नींद में सुधार होता है.
ओट्स स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें एक्सफोलिएटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. ओट्स विटामिन B से भरपूर होते हैं, जो बच्चे की डिलीवरी के बाद महिलाओं में गुस्सा, डिप्रेशन और थकान को कम करने में मदद करते हैं. इसके अलावा, इसमें बीटा-ग्लूकेन्स भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
ओट्स को एक हेल्दी कार्बोहाइड्रेट माना जाता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है. ओट्स में भरपूर मात्रा में डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, स्टार्च और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी पाए जाते हैं. इसमें कुछ जरूरी पोषक तत्व जैसे- विटामिन E, फोलेट और मिनरल्स जैसे- जिंक, आयरन, सेलेनियम, कॉपर और मैंगनीज के साथ ही साथ बीटाइन, कैरोटीनॉयड, कोलीन, सल्फर युक्त अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं.
जैसा कि हम बता चुके हैं कि ओट्स में भरपूर मात्रा में डाइटरी फाइबर होता है, जो पेट को लंबे समय तक फुल रखता है और एनर्जी भी देता है. ये स्ट्रैस हार्मोन को रिलीज करने में भी हेल्प करता है और “फील गुड हार्मोन” को बढ़ावा देता है, जिसे सेरोटोनिन भी कहते हैं. स्तनपान कराने वाली महिलाएं ओट्स को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं.
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