प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना होता है. उन्हें ऐसे कई कामों से बचना होता है, जिनको वो प्रेग्नेंसी से पहले बेझिझक किया करती थीं. इनमें से एक काम बालों को डाई करना यानी रंगना है. लोगों के बीच यह धारणा है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को बालों को रंगने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनके होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है. हालांकि क्या यह धारणा सच है? क्या वास्तव में महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान बालों को कलर नहीं करना चाहिए? आइए जानते हैं इसका जवाब क्या है.
जो महिलाएं अपने बालों को तीसरी तिमाही में रंगती थी, जन्म के वक्त उनके बच्चे का वजन बहुत कम था.
लोकल कंपनी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना भारी पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनपर डाई को बनाने के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री का अक्सर जिक्र नहीं होता. इसके अलावा, ये सेफ्टी प्रोसेस से भी नहीं गुजरे होते. यही वजह है कि इनमें हानिकारक केमिकल हो सकते हैं, जो प्रेग्नेंसी में तमाम दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.
चूंकी प्रेग्नेंसी बहुत नाजुक समय होता है. इसलिए एक छोटी सी लापरवाही भी मां और बच्चे के लिए तरह-तरह के खतरे पैदा कर सकती है. डॉ. अमीना कहती हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले 12 हफ्तों के बाद ही अपने बालों को कलर करना बेहतर माना जाता है. क्योंकि इससे हेयर डाई का असर बच्चों पर कम पड़ता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैसे तो प्रेग्नेंसी में अपने बालों को रंगना सेफ माना जाता है. क्योंकि ज्यादातर हेयर डाई स्कैल्प के साथ बहुत कम कॉन्टैक्ट में आते है. लेकिन किसी भी तरह के केमिकल के आपके रक्तप्रवाह में पहुंच सकता है और इसका असर बच्चे पर पड़ सकता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि महिलाओं को पहली तिमाही में अपने बालों को कलर करने से बचना चाहिए. क्योंकि यह बच्चे के तेजी से विकास का वक्त होता है.
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