एक समय था जब चॉकलेट के नाम पर एक दो चॉकलेट की वैराइटी ही मार्केट में थीं. लेकिन आज के समय में मार्केट में कई ऐसे चॉकलेट मौजूद या यूं कहें कि चॉकलेट की इतनी ज्यादा वैराइटी मौजूद है कि आप खाते-खाते थक जाएंगे तब भी ऐसे कई किस्म के चॉकलेट आपसे छूट जाएगे. चॉकलेट में दो तरह की वैराइटी सबसे ज्यादा फेमस है.
डार्क चॉकलेट की मिठास नॉर्मल चॉकलेट से थोड़ी अलग होती है. अब इन दोनों के अलावा एक ‘सेकेंड जेनरेशन की चॉकलेट’ जल्द ही मार्केट में लॉन्च होने वाली है. सेकेंड जेनरेशन की चॉकलेट अभी तक मार्केट में नहीं आई है लेकिन इसके चर्चे हर तऱफ है.
सेकेंड जेनरेशन चॉकलेट बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इसमें 50 प्रतिशत चीनी की कटौती की गई है. जिसके कारण यह हेल्थ के लिए भी अच्छा है. साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि इस चॉकलेट में 60 से 80 प्रतिशत कोका पाउडर मिलाया जाएगा.
सेकेंड जेनरेशन चॉकलेट बनाने के लिए नई तरह के तकनीक का यूज किया जाएगा. इस चॉकलेट में कोका की फलियों को अलग तरह से फर्मेंट करके भूनना जाएगा. ताकि चॉकलेट में कोका पाउडर की कड़वाहट यूज करने के लिए ज्यादा चीनी का यूज न करना पड़े. स्विट्जरलैंड में स्थित क्रिएटर बैरी कैलेबॉट दुनिया का सबसे बड़ा चॉकलेटियर है.
दुनिया भर में चॉकलेट ‘बैरी कैलेबाउट’ के चीजों से बनाया जाता है. कंपनी नेस्ले,हर्षे और कैडबरी और अन्य ब्रांडों को चॉकलेट यहीं से सप्लाई की जाती है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि नया चॉकलेट बनाना ज्यादा महंगा पड़ सकता है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि शुरुआत में इसे छोटे बार में बेचा जा सकता है.
सेकेंड जेनरेशन की डार्क चॉकलेट में आपको ढ़ेर सारा कोका पाउडर और थोड़ी सी चीनी मिलेगी. सेकेंड जेनरेशन के च़ॉकलेट में चीनी, कोका, और दूध ही मिलेगी. जिसकी वजह से डार्क चॉकलेट हेल्थ के लिए काफी ज्यादा अच्छा हैं.यह चॉकलेट खाने से आपका हाई ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा भी नहीं रहेगा. वहीं दूसरी तरफ जो नॉर्मल चॉकलेट हम खाते हैं उसमें फैट, चीनी काफी ज्यादा होता है.
यह भी पढे –
जानिए,फेफड़े ही नहीं गले में भी हो सकता है टीबी, ये हैं इसके लक्षण