प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को तरह-तरह की डिशेज खाने का मन होता है. हमारे देश में तो महिलाओं की खाने की लालसा को लड़का या लड़की होने से जोड़ दिया जाता है. जैसे खट्टा खाने का मन हो तो लड़की होगी और मीठा खाने का मन हो तो लड़का होगा. लेकिन यह खाने की लालसा यानी कि क्रेविंग होती क्या है, आइए जानते हैं.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी समय खाने की लालसा हो सकती है. खासतौर पर ये प्रेगनेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर के अंत में शुरू होती है और सेकंड ट्राइमेस्टर तक बहुत ज्यादा बढ़ने लगती है. कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के 5 हफ्ते से खाने की लालसा शुरू हो जाती है.
प्रेगनेंसी क्रेविंग कब तक रहती है इसे लेकर कंफ्यूजन है, तो आपको बता दें कि थर्ड ट्राइमेस्टर यानी कि प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान प्रेगनेंसी क्रेविंग थोड़ी कम हो जाती है और बच्चे को जन्म देने के बाद तो यह बिल्कुल ही खत्म हो जाती है.
जरूरी नहीं कि हर महिला को प्रेगनेंसी क्रेविंग हो, रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान खाने की लालसा बहुत आम है लेकिन यह केवल 50 से 90% महिलाओं में ही देखी जाती है.
इन चीजों की होती है सबसे ज्यादा क्रेविंग
मीठा खाने की क्रेविंग
कार्बोहाइड्रेट खाने की क्रेविंग जैसे- चावल, पिज़्ज़ा, ब्रेड आदि
जिसमें सबसे ज्यादा खट्टे फल शामिल होते हैं.
यह क्रेविंग महिलाओं में सबसे ज्यादा प्रेगनेंसी के दौरान देखी जाती है.
डेयरी प्रोडक्ट की क्रेविंग भी कई महिलाओं को देखी जाती है, जिसमें उन्हें डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर ,दही आदि चीजें खाने का मन करता है.
कई महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान तीखा और मसालेदार खाना बहुत पसंद होता है.
जिसमें सबसे ज्यादा अचार या पानीपुरी शामिल होती है.
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में बहुत ज्यादा हीट पैदा होती है. ऐसे में कई महिलाओं को ठंडी आइसक्रीम या बर्फ का गोला खाने की क्रेविंग होती है.
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