सर्दी के कारण अक्सर लोगों को खांसी हो जाती है. हालांकि यह आमतौर पर 2 से 3 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाती है. लेकिन कभी कभी कुछ लोगों को लंबे समय तक खांसी रहती है. हालांकि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. पुरानी खांसी वयस्कों में आठ सप्ताह या उससे अधिक समय तक या बच्चों में चार सप्ताह तक रहती है. अदरक खान, शहद खान, कुछ प्राकृतिक दवा और मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली दवाओं से कुछ राहत मिल जाती है. लेकिन बार बार उठ रही खांसी परेशानी का सबब भी बन जाती है. उन 5 कारणों को जानने की कोशिश करते हैं, जिनके होने की वजह से लंबे समय तक खांसी नहीं जाती है.
कोविड से लंग्स इफेक्ट होने के कारण
कोल्ड या फ्लू के चले जाने के बाद भी कई बार खांसी ठीक नहीं हो पाती है. कोविड 19 संक्रमण या इसी तरह के किसी इन्फेक्शन की वजह से फेफड़ों में सूजन और सूखी खांसी भी हो सकती है. लंबे समय तक खांसी रहे तो चिंता करने वाली बात है. तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
स्मोकिंग करना
तंबाकू के धुएं में मौजूद रसायन और कण गले में जलन पैदा कर सकते हैं. इससे कई बार खांसी नहीं जाती है. लंबे समय तक स्मोकिंग करने से अस्थमा श्वसन संक्रमण जैसी समस्या हो सकती है. जो लोग अधिक धुम्रपान करने हैं, उन्हें खांसी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी समस्या पैदा कर सकती है. ऐसे लोगों को स्मोकिंग छोड़कर डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए.
निमोनिया होना
निमोनिया वायरस, कवक या बैक्टीरिया के कारण फेफड़ों का संक्रमण है. इससे सूखी खांसी या हरे, पीले या खूनी बलगम वाली खांसी हो सकती है. खांसी के साथ, निमोनिया के अन्य संभावित लक्षणों में बुखार, पसीना और सांस की तकलीफ शामिल हैं.
टीबी
टयूबरक्यूलोसिस एक गंभीर संक्रामक रोग है. यह फेफड़ों को प्रभावित करता है. 3 या अधिक सप्ताह तक खांसी रहना टीबी का संकेत हो सकता है. टीबी के कारण खांसी में खून या बलगम भी आ सकता है. हालांकि, यह सूखी खांसी भी हो सकती है. टीबी के अन्य लक्षणों में सीने में दर्द, वजन कम होना, थकान, बुखार, रात को पसीना आना, ठंड लगना और भूख न लगना शामिल हैं. फेफड़ों के अलावा टीबी शरीर के अन्य भागों जैसे किडनी, बैक बोन, ब्रेन को भी प्रभावित कर सकता है.
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़े के कैंसर से ऐसी खांसी हो सकती है, जो लंबे समय तक न जाए. यह समय के साथ और अधिक बेकार हालत कर सकती है. खांसी के अलावा, फेफड़े के कैंसर के रोगियों को सीने में दर्द, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, वजन कम होना भी हो सकता है. कुछ लोगों में कैंसर के विकसित होने तक किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं हो सकता है. इसके लिए रूटीन जांच कराते रहनी चाहिए.
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