जानिए, माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के ये उपाय

माइग्रेन के दर्द का असर वही जानता है, जिसने इसे झेला हो. एक ऐसा खतरनाक दर्द, जिसमें ढंग से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. ना व्यक्ति आंखें खोल पाता है ना शांति से लेट पाता है. भयानक दर्द और लगातार मितली आने के कारण दिमाग मानो सुन्न पड़ जाता है. आस-पास क्या चल रहा है, कुछ समझ नहीं आता. बस समझ आता है तो केवल इतना कि सिर के अंदर की तरफ हथौड़े जैसी मार पड़ रही है.

इसके बाद जब आपका दर्द ठीक हो जाए तो अपने घर की रसोई में रखी तीन खास चीजों का सेवन शुरू कर दें. ये सभी चीजें माइग्रेन की समस्या को होने और बढ़ने से रोकती हैं.

जीरा-इलायची की चाय
मुनक्का
गाय का घी
कैसे करें सेवन?

सुबह के समय बिस्तर छोड़ने के बाद सबसे पहले पहले कम से कम एक गिलास गुनगुना पानी पिएं, सर्दियों में गुनगुना और गर्मियों में रात को तांबे के बर्तन में रखा गया पानी पीना है.

इसके बाद हाथ मुंह धोकर फ्रेश हों और फिर एक कप हर्बल-टी पिएं. इसमें आप जीरा-टी, ब्लैक-टी, ग्रीन-टी इत्यादि ले सकते हैं. इसके बाद जब भी कुछ खाने का मन हो तो सबसे पहले आपको रात में पानी में भिगोकर रखी गई 10 से 15 मुनक्का या फिर किशमिश खानी हैं.

इस नियम को तीन महीने तक लगातार फॉलो करें. आपको खुद ही फर्क दिखने लगेगा. माइग्रेन की फ्रिक्वेंसी कम हो जाएगी और सिर में भी हल्कापन रहने लगेगा. आपको फोकस बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
जीरा-इलायची की चाय

दिन में जब भी आपको कुछ गर्म पीने का मन हो, सिर में भारीपन हो रहा हो या फिर भोजन करने के बाद की ठंड को दूर भगाना हो तो आप जीरा-इलायची की चाय बनाकर पिएं. इसमें हरी इलायची का यूज करें.

इस चाय को पीने से आपका डायजेशन भी इंप्रूव होगा और माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले फिजिकल-मेंटल कारणों में भी आराम मिलेगा.

रोज के भोजन के अलावा, रात को सोने से पहले दूध में मिलाकर, सुबह चाय या कॉफी में मिलाकर भी आप घी का उपयोग कर सकते हैं. इस विधि से गाय के घी का सेवन करने से शरीर को पूरी तरह निरोग रखने में मदद मिलती है.
हम आपको देसी गाय के घी से जुड़े नुस्खे और इनके प्रभाव अक्सर बताते रहते हैं. इस बारे में एक सबसे खास बात ये है कि अगर आप गाय के दूध में मिलाकर गाय के घी का सेवन हर दिन कम से कम एक बार जरूर करते हैं तो आपके शरीर पर ना तो जल्दी से कोई बीमारी हावी हो पाती है और ना ही बुढ़ापा आपके शरीर पर नजर आता है.

माइग्रेन से बचाव के लिए यहां आपको जिन तीन फूड्स के बारे में बताया गया है, ये सभी शरीर में वात-पित्त और कफ को संतुलित करने का काम करते हैं. इतना जान लीजिए कि शरीर के अंदर जब भी कोई दर्द होता है तो आयुर्वेद के अनुसार, इसे वात दोष के बढ़ने का कारण माना जाता है. लेकिन माइग्रेन के मामले में आमतौर पर शरीर के अंदर वात और पित्त दोनों असुंलित हो जाते हैं इसलिए इस दर्द में दर्द के साथ ही और भी कई बीमारियों के लक्षण एक साथ नजर आने लगते हैं.

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