आजकल के खराब खानपान और बेकार लाइफस्टाइल की वजह से बड़ी संख्या में लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं. मोटापा एक ऐसी शारीरिक परेशानी है, जो कई बीमारियों को अपने साथ लेकर आती है. सही वजन वाले लोगों की तुलना में ज्यादा वजन वाले या मोटे लोगों को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी, स्ट्रोक, और कम से कम 13 तरह के कैंसर का खतरा रहता है.
ज्यादा वजन होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपको कैंसर हो ही जाएगा, लेकिन नॉर्मल वेट वाले लोगों की तुलना में आपको कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहेगा. ज्यादा वजन वाले या मोटापे से पीड़ित लोगों को 13 टाइप के कैंसर होने का ज्यादा जोखिम रहता है.
पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर
कोलन और रेक्टल कैंसर
गॉल ब्लैडर का कैंसर
एसोफैगस कैंसर
किडनी का कैंसर
लीवर का कैंसर
मेनिंगियोमा
मल्टीपल मायलोमा
ओवेरियन कैंसर
पैंक्रियाज कैंसर
पेट का कैंसर
थायराइड कैंसर
बच्चेदानी में कैंसर
शरीर में मौजूद चर्बी एक जगह नहीं बैठी रहती. ये शरीर के बाकी हिस्सों को सिग्नल भेजती है. ये सिग्नल हमारे शरीर में मौजूद सेल्स को विभाजित होने को कहते हैं, जिससे कैंसर की बीमारी हो सकती है. फैट सेल्स द्वारा दिए जाने वाले सिग्नल शरीर को ऐसे प्रभावित कर सकते हैं.
बॉडी में बहुत ज्यादा फैट का होना ग्रोथ हार्मोन के लेवल को बढ़ा सकता है, जो सेल्स के कई बार विभाजित होने का कारण बन सकता है. जिससे कैंसर सेल्स के पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है.
जब शरीर में ज्यादा फैट सेल्स होते हैं तो इम्यून सेल्स डेड फैट सेल्स को हटाने के लिए शरीर के उसी हिस्से में जाते हैं. इससे सूजन की समस्या पैदा हो सकती है, जो सेल्स के ज्यादा तेजी से विभाजित होने का कारण बनती हैं. यही वक्त के साथ कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है.
मेनोपॉज के बाद फैट सेल्स एस्ट्रोजन हार्मोन को प्रॉड्यूस करती है. ये ब्रेस्ट और वॉम्ब में सेल्स को ज्यादा बार डिवाइड कर सकती है, जिससे कैंसर के पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है.
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