बचपन में हमारे साथ ऐसा कई बार हुआ होगा।जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो वे सबसे पहले आपकी जीभ क्यों देखते हैं.ऐसा इसलिए क्योंकि जीभ में छोटे से बदलाव से डॉक्टर बीमारियों को समझ लेते हैं. जीभ का रंग या इसमें जो बदलाव हो रहे हैं, उसके आधार पर डॉक्टर दवा देते हैं. इसका मतलब यह है की जीभ का रंग आपकी सेहत का हाल बता सकता है. तो चलिए जानते हैं कि जीभ में बदलाव से किन-किन बीमारियों के संकेत मिल सकते हैं…
कभी-कभी जीभ पर बाल या फर जैसी चीज चिपकी हुई समझ आती है. यह सफेद, काला या ब्राउन नजर आ सकता है. ऐसा तब होता है, जब प्रोटीन जीभ पर पहले से मौजूद गांठ धारीदार हेयरलाइन में चेंज हो जाते हैं. इसमें बैक्टीरिया फंस सकते हैं. इससे सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है.
कुछ लोगों के तो जीभ का रंग ही काला हो जाता है. ऐसा एंटासिड टैबलेट के सेवन के बाद होता है. एंटासिड में बिस्मथ पाया जाता है, जो थूक के साथ जीभ की ऊपरी सतह में फंस जाता है. यह गंभीर समस्या नहीं है. मुंह की सफाई से यह ठीक हो जाती है. हालांकि, डायबिटीज के कुछ मरीजों में जीभ का रंग काला होना समस्या बन सकता है.
जीभ का रंग लाल होना चिंताजनक हो सकता है. जीभ सुर्ख लाल होने का मतलब कावासाकी बीमारी भी हो सकती है. विटामिन की कमी से भी ऐसा हो जाता है. बच्चों में कावासाकी बीमारी ज्यादा होती है. स्कार्लेट फीवर होने पर भी जीभ का रंग लाल हो सकता है.
अगर जीभ में जलन होना एसिडिटी की वजह से हो सकता है. कई बार तंत्रिका संबंधी परेशानी की वजह से भी जीभ में जलन हो सकती है. इसलिए जीभ का ख्याल रखना जरूरी होता है.
जीभ पर घाव है और कई दिनों से ठीक नहीं हो रहा है और खाने-पीने, निगलने में दिक्कत हो रही है तो सावधान हो जाएं, क्योंकि यह कैंसर के संकेत हो सकते हैं.
जीभ पर सफेद दाग या कोटिंग होना यीष्ट इंफेक्शन के संकेत हो सकते हैं. बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलता है. जीभ पर सफेद कोटिंग ल्यूकोप्लाकिया की वजह से भी हो सकता है. तंबाकू खाने वालों में यह समस्या ज्यादा होती है.
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