जानिए,स्मोकिंग न करने वालों को भी कैसे हो जाता है फेफड़े का कैंसर

क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें किस कैंसर की वजह होती हैं? वैसे तो सभी प्रकार के कैंसर खतरनाक माने जाते हैं. लेकिन फेफड़े का कैंसर एक ऐसा कैंसर है, जो पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों की वजह है. फेफड़े का कैंसर, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के बाद तीसरा सबसे आम कैंसर है. फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू के धुएं को माना जाता है.

लंग कैंसर के मरीजों की संख्या घटने के बावजूद यह देखा गया है कि स्मोकिंग नहीं करने वालों में भी ये कैंसर अब बढ़ रहा है. यानी ऐसे कई कारक है, जो लंग्स को किसी न किसी तरह से प्रभावित कर रहे हैं और उनमें कैंसर पैदा कर रहे हैं. स्मोकिंग न करने वालों में फेफड़े के कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं.

कई लोग ऐसे हैं जो स्मोकिंग नहीं करते हैं, लेकिन स्मोकिंग करने वालों के संपर्क में आते हैं. अगर आप कहीं ऐसी जगह पर खड़ें हैं, जहां कोई स्मोकिंग कर रहा है तो जाने-अनजाने में ही सही आप भी उस धुएं को सांस के जरिए अंदर ले रहे हैं.

भारत में फेफड़ों के कैंसर का एक मुख्य कारण वायु प्रदूषण भी है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, वायु प्रदूषण की वजह से हर साल फेफड़ों के कैंसर से 18 लाख लोगों की मौत होती है. वायु प्रदूषण को फेफड़ों के कैंसर सहित कई स्वास्थ्य परेशानियों से जोड़ा गया है. साल 2020 में द लांसेट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, 2019 में भारत में वायु प्रदूषण से 17 लाख लोगों की मौत हुई थी.

जीन म्यूटेशन से फैमिली के सदस्यों में फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. फेफड़े के कैंसर की खतरा उन परिवारों में ज्यादा होता है, जिनमें इसके कई मामले होते हैं.

रेडिएशन एक्सपोजर फेफड़ों की सेल्स में डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे म्यूटेशन हो सकता है और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है. उच्च स्तर के आयनीकरण विकिरण के कॉन्टैक्ट में आने वाले लोगों, जैसे- परमाणु उद्योग में काम करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के पैदा होने का खतरा ज्यादा रहता है.

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