स्किन कैंसर के अधिकतर मामले ज्यादा धूप खासतौर से सौर अल्ट्रावायलेट रेज़ या तरंगों के कॉन्टैक्ट में आने की वजह से सामने आते हैं. ये रेज़ स्किन की सेल्स को नुकसान पहुंचाती हैं और उनमें बदलाव करती हैं. इसी वजह से कैंसर की बीमारी जन्म लेती है. मेलानोमा स्किन कैंसर का सबसे ज्यादा खतरनाक प्रकार है. स्किन कैंसर का खतरा फैमिली हिस्ट्री, लाइफस्टाइल, स्किन कैंसर और स्किन के कलर जैसे कुछ बातों पर निर्भर करता है.
सूरज के सीधे कॉन्टैक्ट में आना स्किन कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. जिन लोगों की स्किन का कलर ज्यादा डार्क होता है, उनकी त्वचा में गोरे लोगों के मुकाबले मेलानिन ज्यादा होता है. यही नहीं, उनमें सूरज के कॉन्टैक्ट में रहने के बावजूद कैंसर का खतरा कम होता है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गहरे रंग वाले लोगों को भी स्किन कैंसर की बीमारी हो सकती है, लेकिन ऐसे सबूत फिलहाल नहीं मिले हैं, जिससे यह साबित हो जाए कि ये स्थिति स्किन के झुलसने या सूरज के कॉन्टैक्ट में आने से पैदा होती है.
वहीं, जिन लोगों की स्किन का कलर हल्का गोरा या ज्यादा गोरा होता है, उनमें सूरज की यूवी रेज़ से स्किन कैंसर होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. ऐसे लोग जो लंबे वक्त तक सूरज की तेज किरणों के संपर्क में रहते हैं, उनकी स्किन झुलसने का खतरा अधिक होता है. जिन लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा है, उन्हें सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से हमेशा बचाना चाहिए. सर्दियों के मौसम में भी यूवी तरंगें आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं.
खुद को UV रेज से बचाने के लिए आपको ऐसे कपड़े पहनने चाहिए, जिससे शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा कवर रहे. आंखों पर चश्मे का इस्तेमाल करें और सिर पर टॉपी यानी हैट पहनें. इन उपायों की मदद से आपको यूवी किरणों को स्किन तक पहुंचने से रोकने में काफी मदद मिलेगी. लाइट कलर के कपड़े डार्क कलर के कपड़ों की तुलना में सूरज की किरणों से आपकी कम रक्षा करते हैं, इसलिए ज्यादा धूप में जाने से पहले डार्क कलर का इस्तेमाल करें. यूवी किरणों से बचाव के लिए आप अच्छे सनस्क्रीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. धूप में जाने से पहले हमेशा यह सुनिश्चित करें कि सनस्क्रीन आपकी त्वचा पर लगी हो. इसके अलावा, अगर पॉसिबल हो तो आप कोशिश करें कि सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सूरज के कॉन्टैक्ट में न आएं.
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