चाय का चस्का हम भारतीयों को किस हद तक लगा हुआ है, इस बारे में ने सिरे से बात करने की जरूरत नहीं है. लेकिन आप अपनी चाय को और अधिक टेस्टी और हेल्थ के लिए फायदेमंद कैसे बना सकते हैं, ये जानना जरूरी है. क्योंकि एक दिन में कई-कई चाय पीने वाले लोगों को इससे होने वाले नुकसान को भी तो कम करना है ना…
चाय का टेस्ट कैसे बढ़ाएं?
चाय का टेस्ट और गुण बढ़ाने के लिए हमारे यहां कई ओल्ड प्रैक्टिस हैं. जैसे चाय में तुलसी के पत्ते डालकर इसे बनाने पर इसका स्वाद और खुशबू दोनों ही लाजवाब हो जाते हैं. ऐसी ही 3 चीजों को अलग-अलग टाइम पर यूज करके चाय बनाने से आपको हर बार चाय का स्वाद भी नया मिलेगा और हेल्थ को भी फायदा होगा…
दालचीनी
चाय में दालचीनी डालकर पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, पेट सही रहता है और मेटाबॉलिज़म को बूस्ट करने में मदद मिलती है. लेकिन दालचीनी का उपयोग बहुत ही सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए. आमतौर पर एक व्यक्ति को एक दिन में दालचीनी का सिर्फ आधा इंच से भी छोटा टुकड़ा यूज करने की सलाह दी जाती है. यानी कुल मिलाकर आप इतनी ही दालचीनी उपयोग कर सकते हैं.
अदरक
चाय में अदरक डालकर पीना हमारे यहां पुरानी प्रैक्टिस है. शायद तभी से भारतीयों ने ये तरीका इजाद कर लिया होगा, जब अंग्रेज पहली बार चायपत्ती भारत में लाए होंगे! खैर, चाय में अदरक डालकर पीने से गले और सांस संबंधी रोगों से बचाव होता है. इसलिए बदलते मौसम में चाय में इसका उपयोग जरूर करना चाहिए.
हरी इलायची
डायजेशन को ठीक रखने के लिए आप चाय में हरी इलायची का यूज करें. इसकी खुशबू से मन को भी शांति मिलती है और चाय का स्वाद भी बढ़ जाता है.
चाय बनाने की सही विधि क्या है?
आजकल चाय बनाने के लिए दूध-पानी-पत्ती इत्यादि को एक साथ डालकर पकने के लिए रख दिया जाता है, जो कि सही प्रैक्टिस नहीं है. आप पहले चायपत्ती-इलायची या सिनमन को पानी में पकाएं. एक उबाल आने के बाद दूध डालें और फिर एक उबाल आने के बाद चीनी डालनी चाहिए.
ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी को देर तक आंच पर पकाने से इसके रासायनिक गुणों में बदलाव हो जाता है और ये शरीर के लिए बहुत अधिक हानिकारक बन जाती है. आप ऐसा भी मान सकते हैं कि ये एक स्लो पॉइजन की तरह काम करने लगती है. इसलिए चीनी को देर तक आंच पर नहीं पकाने की सलाह दी जाती है.
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